छाया : कलेक्टर ऑफिस सीहोर
उज्जवला समूह ने सीहोर जिले की ग्रामीण महिलाओं के साथ मिलकर सिलाई और वस्त्र उद्योग में एक नई दिशा शुरू की है। इस समूह की महिलाओं द्वारा बनाए गए कपड़े अब मेट्रो सिटीज में धूम मचा रहे हैं। खासकर, इन महिलाओं के द्वारा बनाए गए नेचुरल डाई और हैंड ब्लॉक पैटर्न के कपड़े जैसे कुर्ते, पेंट, प्लाजो और अंगरखा, काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। ये कपड़े विभिन्न मेलों, बुटिक संचालकों, और खासतौर पर सरकारी और गैर-सरकारी आयोजनों में भी पहुंचाए जा रहे हैं।
स्वसहायता समूह से सफलता की ओर बढ़ते कदम
उज्जवला समूह की सदस्य श्वेता सक्सेना ने बताया कि वे पिछले 20 वर्षों से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं, लेकिन करीब 7 साल पहले सीहोर के ग्रामीण महिलाओं के साथ जुड़कर इस काम को बढ़ावा देना शुरू किया। इन महिलाओं को सिलाई का हुनर तो था, लेकिन काम में ज्यादा फिनिशिंग की कमी थी। श्वेता ने उन्हें उचित प्रशिक्षण दिया और स्वसहायता समूहों के माध्यम से इन महिलाओं के हुनर को बेहतर किया। इसका परिणाम यह रहा कि अब ये महिलाएं घर बैठे ही अच्छे पैसे कमा रही हैं।
मेट्रो सिटीज में बढ़ी मांग
इस समूह द्वारा बनाए गए कपड़ों में मध्यप्रदेश के बाघ प्रिंट, आंध्रप्रदेश का कलमकारी, गुजरात का अजरक, और राजस्थान के बगरू प्रिंट जैसी विशेषताएं शामिल हैं, जो मेट्रो सिटीज में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। विशेष तौर पर बाघ प्रिंट और बटिक प्रिंट की डिमांड अब देशभर में बढ़ चुकी है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू, हैदराबाद और नोएडा जैसे बड़े शहरों में जहां पहले पश्चिमी कपड़ों का बोलबाला था, अब पारंपरिक भारतीय परिधान भी अपनी जगह बना रहे हैं। ये कपड़े केवल स्थानीय मेलों और बुटिक्स तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि बड़े शहरों में युवा पीढ़ी द्वारा भी पसंद किए जा रहे हैं, जिनमें वन पीस और मिनी स्कर्ट जैसे मॉडर्न कपड़ों के साथ पारंपरिक डिज़ाइन्स को भी अपनाया जा रहा है।
उज्जवला समूह की सफलता का राज
इस सफलता के पीछे उज्जवला समूह के समर्पण, ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की पहल और उनके द्वारा बनाए गए उत्कृष्ट कपड़े हैं। इन कपड़ों की प्राकृतिक रंगाई और हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग के कारण इनकी मांग निरंतर बढ़ रही है। सीहोर जिले के विभिन्न गांवों से महिलाएं अब खुद को आर्थिक रूप से सशक्त महसूस कर रही हैं और इस उद्योग में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। उज्जवला समूह ने न केवल ग्रामीण महिलाओं को सशक्त किया है, बल्कि उनके हुनर को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पहचान दिलाई है।
सन्दर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर
सम्पादन : मीडियाटिक डेस्क



Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *