आचार्या वेदिका : लिवर डोनेशन से लेकर कलारीपायट्टु

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आचार्या वेदिका : लिवर डोनेशन से लेकर कलारीपायट्टु
कप में मां-बेटी की ऐतिहासिक जीत

छाया : इंदौर मिरर

इंदौर की आचार्या वेदिका श्रीवास्तव ने एक वर्ष के भीतर समाजसेवा, स्वास्थ्य जागरूकता और भारतीय पारंपरिक मार्शल आर्ट इन तीनों क्षेत्रों में ऐसी उल्लेखनीय सफलताएं अर्जित की हैं, जिन्होंने उन्हें शहर ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए प्रेरणा का स्रोत बना दिया है। लिवर डोनेशन से लेकर राष्ट्रीय स्तर की उपलब्धि और कलारीपायट्टु में चैंपियन ऑफ चैंपियंस कप 2025 में उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उनकी प्रतिभा, साहस और सामाजिक संवेदनशीलता को नई पहचान दी है। मां बेटियों की ऐतिहासिक उपलब्धि ने इस सफर को और भी खास बना दिया है। 

लिवर डोनेशन-साहस और मानवीय मूल्यों की मिसाल 

पिछले वर्ष अपनी मां को लिवर का हिस्सा दान करके वेदिका ने वह दुर्लभ साहस दिखाया जिसे समाज आज भी असाधारण मानता है। इस जीवनदायी निर्णय ने न सिर्फ उनकी मां को नया जीवन दिया, बल्कि अंगदान को लेकर समाज में जागरूकता भी बढ़ाई। राज्य स्तर की उपलब्धि के बाद अब वे राष्ट्रीय स्तर के लिए क्वालिफाई कर चुकी हैं, जो उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति, साहस और मानवीय मूल्यों का प्रमाण है। उनकी यह यात्रा बताती है कि सामाजिक योगदान और व्यक्तिगत प्रतिबद्धता किस तरह किसी के जीवन को नई दिशा दे सकती है। 

मां-बेटियों का अनोखा कमाल

खेल के क्षेत्र में भी आचार्या वेदिका ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। कलारीपायट्टु चैंपियन ऑफ चैंपियंस कप 2025 में उन्होंने उरुमी दक्षिण भारत की अत्यंत चुनौतीपूर्ण और प्राचीन तलवारकला में उत्कृष्ट कौशल दिखाते हुए रजत पदक जीता। उरुमी में महारत तकनीकी दक्षता के साथ कठोर अनुशासन और वर्षों की साधना की मांग करती है, जिसे वेदिका ने सिद्ध किया। खास बात यह रही कि उनकी 14 वर्षीय बेटी वेदांशी और 6 वर्षीय मणि ने भी अलग-अलग श्रेणियों में स्वर्ण पदक जीतकर परिवार का मान बढ़ाया। यह सफलता अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी व कोच अश्विनी पाल और उनकी अश्विनी फाइटर्स अकादमी के प्रशिक्षण की भी बड़ी उपलब्धि है।

आचार्या वेदिका ने कहा, यह सम्मान केवल मेरा नहीं, बल्कि मेरे परिवार, गुरुओं और उन सभी शुभचिंतकों का है जिन्होंने हर कदम पर मुझे हिम्मत दी। अंगदान किसी को सिर्फ जीवन ही नहीं, बल्कि एक नई उम्मीद देता है। कलारीपायट्टु ने मुझे मानसिक दृढ़ता और अनुशासन की नई दिशा दी। उधर, कोच अश्विनी पाल ने कहा, उरुमी जैसे जोखिमपूर्ण शस्त्र में रजत पदक पाना अत्यंत कठिन है, लेकिन वेदिका ने हर चरण में अद्भुत फोकस और साधना दिखाई। उनकी बेटियाँ भी कम उम्र में जिस समर्पण और कौशल के साथ आगे आई हैं, वह अभूतपूर्व है। मुझे विश्वास है कि यह परिवार भारतीय मार्शल आर्ट को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

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