मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए 18 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ बिना सहमति के यौन संबंध बनाने को बलात्कार करार दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने इस अपराध के लिए 10 साल कैद की सजा पाने वाले व्यक्ति की दोषसिद्धि को बरकरार रखा है। बता दें कि न्यायमूर्ति जी.ए. सनप की नागपुर पीठ ने 12 नवंबर को पारित एक आदेश में 24 वर्षीय व्यक्ति की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें सत्र अदालत के 2021 के फैसले को चुनौती दी गई थी।
सत्र अदालत का फैसला बरकरार
दरअसल, सत्र अदालत ने आरोपी को अपनी नाबालिग पत्नी का यौन उत्पीड़न करने के मामले में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था। सत्र अदालत ने आरोपी को 10 साल के कारावास की सजा सुनाई थी। बता दें कि याचिकाकर्ता ने दावा किया कि चूंकि पीड़िता उसकी पत्नी है, इसलिए उनके बीच यौन संबंध को बलात्कार नहीं कहा जा सकता।
ये भी पढ़िए ......
उत्तराखंड हाईकोर्ट : पिता और दादा-दादी के पास नाबालिग लड़की के रहने को गैरकानूनी नहीं कहा जा सकता
सुप्रीम कोर्ट : 'यौन उत्पीड़न की नाबालिग पीड़िता को बार-बार नहीं बुला सकते
इलाहाबाद हाईकोर्ट: नाबालिग का लिव-इन रिलेशनशिप में रहना अनैतिक और अवैध
हाईकोर्ट ने कही ये बात
हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी की आयु 18 वर्ष से कम होने पर उसके साथ सहमति से यौन संबंध के आधार पर बचाव नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा, ‘‘18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ यौन संबंध बनाना बलात्कार है, चाहे वह शादीशुदा हो या नहीं। अठारह साल से कम उम्र की पत्नी के साथ बिना सहमति के यौन संबंध बनाना बलात्कार है।’’
2019 में दर्ज कराई थी शिकायत
बता दें कि महिला ने 2019 में एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उसने कहा कि वह आरोपी के साथ रिश्ते में थी, लेकिन उसके मना करने के बावजूद उसने उसका बलात्कार किया और उसे गर्भवती कर दिया। शिकायत में कहा गया कि इसके बाद दोनों साथ रहने लगे और उन्होंने शादी कर ली, लेकिन व्यक्ति ने गर्भपात कराने पर जोर दिया। महिला ने आरोप लगाया कि व्यक्ति ने शादी के नाम पर उसके साथ कई बार बलात्कार किया तथा उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया।
घटना के समय नाबालिग थी पीड़िता
कोर्ट ने कहा कि महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया और डीएनए जांच के अनुसार, आरोपी और महिला जैविक माता-पिता हैं। व्यक्ति ने अपनी याचिका में स्वयं को निर्दोष बताते हुए कहा कि शिकायतकर्ता उसकी पत्नी है, इसलिए उनके बीच शारीरिक संबंध को बलात्कार नहीं कहा जा सकता और ये संबंध सहमति से बने थे। उसने यह भी दावा किया कि कथित घटना के समय महिला नाबालिग नहीं थी। हालांकि, अदालत ने इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उसने कहा कि दस्तावेजी साक्ष्यों के अनुसार, शिकायतकर्ता का जन्म 2002 में हुआ था और 2019 में जब कथित घटना हुई, तब वह नाबालिग थी।
संदर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *