छाया : शी द पीपल
भोपाल में जन्मी कायना खरे दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला स्कूबा डाइवर बन गई हैं। उन्होंने यह उपलब्धि पानी के नीचे की दुनिया के प्रति अपने जुनून और कड़ी मेहनत से हासिल की है। कायना ने महज 10 साल की उम्र में स्कूबा डाइविंग शुरू की थी। सबसे पहले उन्होंने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्कूबा डाइविंग की। फिर इंडोनेशिया के बाली में ओपन वॉटर कोर्स पूरा करने के बाद थाईलैंड में एडवांस ओपन वॉटर कोर्स किया। कायना यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने स्पेशल कोर्स के साथ अपनी डाइविंग को जारी रखा। जिसमें पानी के नीचे की फोटोग्राफी, नाइट्रॉक्स डाइविंग आदि शामिल है।कायना बचपन से ही माता-पिता के साथ वाटर स्पोर्ट्स करती थी। उम्र कम होने के बावजूद उनके माता-पिता ने कायना के इस जुनून को प्रोत्साहित किया। अपने परिवार और अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षकों की टीम के सहयोग से कायना ने कठोर प्रशिक्षण लिया और एक के बाद एक कई डाइविंग खिताब अर्जित किये।
कायना बड़ी होकर एक मरीन बायोलॉजिस्ट बनना चाहती है। सबसे कम उम्र की स्कूबा डाइवर बनने के लिए कायना ने कठिन मेहनत की। जिसमें समुद्र के सतह के ऊपर और नीचे दोनों किनारों, कक्षा और समुद्र के अंदर की चुनौतियों को पूरा करना थका देने वाले काम थे। सब कुछ पूरा करने में उन्हें महीनों का प्रशिक्षण और कई टेस्ट पास करने पड़े लेकिन कायना अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ रही और सफलता हासिल की।
उपलब्धियां
उनके पास एडवांस्ड ओपन वॉटर सर्टिफिकेशन, अंडरवाटर फोटोग्राफी, स्पेशलाइज्ड नाइट्रॉक्स डाइविंग, परफेक्ट बाउंसी कंट्रोल, रेस्क्यू डाइवर ट्रेनिंग और कई अन्य स्पेशलिटी कोर्स में सर्टिफिकेशन हैं। इसने उन्हें मास्टर डाइवर का खिताब दिलाया है, जो उन युवा गोताखोरों को दिया जाता है, जो असाधारण ज्ञान, दक्षता और समर्पण का प्रदर्शन करते हैं।
संदर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर
संपादन : मीडियाटिक डेस्क
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