इशिका चौधरी : चुनौतियों से बढ़ता है जिनका हौसला

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इशिका चौधरी : चुनौतियों से बढ़ता है जिनका हौसला

छाया : इशिका चौधरी के फेसबुक अकाउंट से 

•  सीमा चौबे

अपनी प्रतिभा के बूते टीम इंडिया में अहम जगह बना लेने वाली ग्वालियर की इशिका चौधरी किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। बचपन से ही मेहनती और जुझारू रही इस खिलाड़ी ने एक बार जब हॉकी हाथ थामी, फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।15 अप्रैल 2000 को भिंड में श्री राजीव चौधरी और श्रीमती गायत्री चौधरी के यहाँ जन्मी इशिका परिवार में बड़ी हैं जबकि उनसे छोटा एक भाई है। उनके पिता भिंड जिले में शिक्षक और माँ गृहिणी हैं। 

इशिका ने शुरूआती पढ़ाई ग्वालियर के ऋषिकुल विद्या निकेतन और किडीज़ कार्नर से की और फिर आईटीएम यूनिवर्सटी से फिजिकल एजुकेशन में स्नातक किया। स्कूल समय से ही वे बैडमिंटन, हॉकी के अलावा एथलेटिक्स और क्रिकेट आदि खेलों में भाग लेती रहीं, लेकिन हॉकी में करियर बनाने के बारे में उन्होंने कभी सोचा नहीं था।

माँ के कहने पर सीखी हॉकी

वर्ष नवंबर 2011 में मां के कहने पर घर के पास ही स्थित दर्पण फीडर सेंटर में कोच श्री अविनाश भटनागर से हॉकी सीखना शुरू किया। उस समय उनकी उम्र महज 11 वर्ष थी। यहां से हॉकी का ककहरा सीखने के बाद एक साल बाद ग्वालियर में स्थापित मप्र राज्य महिला हॉकी अकादमी में कोच परमजीत सिंह जी से इस खेल की बारीकियां सीखीं।

एक वर्ष में जूनियर टीम में बना ली जगह

अकादमी में आने के बाद उन्होंने इस खेल को गंभीरता से लेना शुरू किया। कोच से मिले सतत मार्गदर्शन और मेहनत से इशिका ने जल्द ही जूनियर और सब जूनियर टीम में अपनी जगह बना ली और वर्ष 2013  में रांची में आयोजित जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। इसके अगले ही वर्ष 2014 में सब जूनियर कैटेगरी में पहला नेशनल पुणे में खेला, जिसमें इनका बेहतरीन प्रदर्शन रहा. उस टूर्नामेंट में टीम ने स्वर्ण पदक तथा 2016  में रोहतक में सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।

कप्तान/उप कप्तान का दायित्व

वर्ष 2015 से 2017 तक एक के बाद एक जूनियर नेशनल में उनके प्रदर्शन के आधार पर उन्हें वर्ष 2017 में राष्ट्रीय शिविर के लिए बुलाया गया। यहीं से इशिका ने अपना मुकाम जूनियर भारतीय हॉकी टीम में बनाया। इस दौरान उन्होंने टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए रूस, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड, अर्जेंटीना, बेल्जियम आदि देशों में अपने खेल का जबरदस्त प्रदर्शन किया। उन्होंने जूनियर भारतीय हॉकी टीम में कप्तान/उप कप्तान का दायित्व भी निभाया।

खास बात यह रही कि इशिका सब जूनियर की कैटेगरी की होने के बावजूद जूनियर और सीनियर टीम की सदस्य भी रहीं। इशिका कहती है हालांकि उस समय सीनियर्स साथ कम खेलने को मिला, लेकिन इस वर्ग में चयन होना और सभी अनुभवी खिलाड़ियों का मार्गदर्शन और साथ मिलना मेरी तरक्की में सहायक रहा. इशिका के खेल कौशल को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा 2019 के सर्वोच्च खेल अवार्ड ‘एकलव्य अवार्ड’ से नवाजा गया।

काबिलियत पर वरिष्ठ खिलाड़ियों ने भी जताया भरोसा

वर्ष 2021-22 में भारतीय सीनियर महिला हॉकी टीम में चयन होने के बाद इशिका ने मस्कट ओमान में आयोजित एशिया कप टूर्नामेंट में अपना पहला प्रदर्शन किया। उस मौके को याद करते हुए इशिका बताती हैं “जूनियर टीम में मैं एक लीडर की भूमिका में थी, लेकिन यहाँ मुझे सुशीला चानू, वंदना कटारिया और सविता पूनिया जैसी खिलाड़ियों के साथ उनके मार्गदर्शन में खेलना था, माहौल बिल्कुल अलग था, लेकिन वरिष्ठ खिलाड़ियों ने मुझ पर बहुत भरोसा जताया। वे मुझे कहते “यह तुम्हारा पहला टूर्नामेंट है, तुम जैसा खेल सकती हो, खेलो। दबाव को संभालना हमारा काम है।“

विपरीत परिस्थितियों में बनाए रखा हौसला

कॉमन वेल्थ विमेंस वर्ल्ड कप -22-23  में चयन न होने से इशिका बहुत निराश हो गई थी. वे कहती हैं यह समय मेरे जीवन का सबसे बुरा दौर था क्योंकि इसके पहले मेरा लगातार चयन होता आ रहा था और एक टूर्नामेंट भी खेल चुकी थी, लेकिन यहाँ अतिरिक्त खिलाड़ियों की फेहरिस्त में भी मेरा नाम नहीं था। उस समय सभी ने मुझे बहुत हौसला दिया. इसके बाद मैंने अपना सारा ध्यान एशियन गेम्स टीम में वापसी करने पर ही लगाया और महज दस महीने बाद ही मस्कट एशियन चैम्पियनशिप में कांस्य पदक हासिल कर ही लिया।

खेल के दौरान कई बार ऐसे भी क्षण आये जब इशिका गंभीर रूप से घायल हुईं। वर्ष 2017 में भोपाल में आयोजित जूनियर नेशनल में इशिका के खेल से हरियाणा की टीम परेशान हो गई। इससे खीझते हुए प्रतिद्वंद्वी टीम की एक खिलाड़ी ने उनके चेहरे पर हॉकी मार दी, जिसमें उनके 3-4 दांत टूट गए थे। लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारीं और 15 दिन के अंदर ही मैदान पर वापसी कर ली। इसी तरह रोहतक में सब जूनियर नेशनल के दौरान एक खिलाड़ी ने लिफ़्टेड बॉल मारी जिससे चोट लगने से उनकी उंगली बीच से आधी लटक गई। वे इस मैच में उम्दा प्रदर्शन कर रहीं थीं, लेकिन गंभीर चोट के कारण उन्हें मैच बीच में छोड़ वापिस ग्वालियर आना पड़ा।

ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने का है सपना

सीनियर टीम में शामिल होने के बाद महज 2 वर्ष के अंतराल में ही पचास से अधिक मैच खेल चुकी, महिला हॉकी टीम की रीढ़ मिडफील्डर खिलाड़ी इशिका, फ़िलहाल बिहार में होने वाली चैम्पियन ट्रॉफी 2025 के अलावा आने वाले वर्ल्ड कप, कॉमन वेल्थ सहित अन्य टूर्नामेंट की तैयारियों में व्यस्त हैं। उनकी तमन्ना ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व कर स्वर्ण पदक हासिल करने की है। इशिका मानती हैं कि उनके खेल के इस सफ़र में माता-पिता, प्रशिक्षकों और सभी सीनियर्स खिलाड़ियों का भरपूर सहयोग रहा है। वे कहती हैं यह मेरी खुशकिस्मती है कि मै उस अकादमी कि खिलाड़ी हूँ जहाँ से सुशीला चानू, ज्योति सिंह, करिश्मा यादव, रेणुका यादव, प्रीति दुबे, रीना खोखर और अनुराधा थोकचोम जैसी कई राष्ट्रीय अन्तराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी निकली हैं। कई खिलाड़ी भारतीय टीम में प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड दिल्ली में कार्यरत इशिका के छोटे भाई ईशान बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं।

हमारे लिए नेशनल एसेट है इशिका : कोच परमजीत सिंह

इशिका के कोच  परमजीत सिंह जी - जो मध्यप्रदेश महिला हॉकी अकादमी के मुख्य कोच भी हैं, बताते हैं कि "पहली बार अकादमी आई इशिका का फुटवर्क देखकर ही मैंने उसे कह दिया था तुम्हें भारत के लिए खेलना है।” अकादमी में पहले साल हमने उसे बेसिक बातें सिखाने के अलावा उसकी फिटनेस पर ही ध्यान दिया। हम इसे 2014 में हॉलैंड और इसके बाद वर्ल्ड टूर्नामेंट में भी ले गए। सिंह कहते हैं हमारा उद्देश्य अकादमी से खिलाड़ी तैयार करना है, इसलिए इशिका जैसे खिलाड़ियों को इस तरह के टूर पर ले जाते हैं। वे बताते हैं ऐसे कई उदाहरण हैं जो उनकी दृढ़ता और लक्ष्य तक पहुंचने की इच्छा को दर्शाते हैं “जब हमने 2017 में जूनियर नेशनल जीता था, तब इशिका के तीन- चार दांत टूट गए थे। इसके कुछ दिनों बाद ही उसे बैंगलोर में जूनियर कैंप के लिए जाना पड़ा। उसे वहीं पर टांके निकलवाने पड़े। उस समय वह तरल पदार्थ ही ले पा रही थी। उस समय उसकी जगह कोई और होता तो जाने से मना ही कर देता। 

खेल के प्रति उसकी प्रतिबद्धता इतनी मजबूत थी कि जब वह अवकाश पर ग्वालियर आती, तो अपने घर पर परिवार के साथ रहने के बजाय अकादमी में ही रहना पसंद करती थीं। कोविड-19 महामारी के दौरान इशिका ने अपनी फिटनेस या शेड्यूल के किसी भी पहलू में कोताही नहीं बरती। 2018 में भारतीय जूनियर महिला टीम में शामिल किए जाने के बाद से ही वह शानदार प्रदर्शन कर रही हैं। वे कहते हैं जब कॉमनवेल्थ एशियन गेम 23 में उसका चयन नहीं हुआ, उस समय उसने मुझसे वायदा किया कि सर, एशियन गेम्स तो ज़रूर खेलूंगी और 10 महीने बाद ही उसने यह कमाल कर दिखाया। वे कहते हैं इशिका हमारे लिए नेशनल एसेट है, जिसे हमें लगातार निखारना है। उसका भविष्य बेहतर है और वह भारतीय टीम के कप्तान तक का सफर तय कर सकती है।

अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धियां

• एफ़आईएच हॉकी प्रो लीग 2023-24

• एफ़आईएच हॉकी ओलंपिक क्वालीफ़ायर, रांची 2024

• 5 राष्ट्र टूर्नामेंट, वेलेंसिया, स्पेन 2023

• एशियन चैंपियंस ट्रॉफी, रांची, झारखंड 2023 (स्वर्ण पदक)

• 19वें एशियाई खेल हांग्जो,  2022, चीन 2023 (कांस्य पदक)

• महिला एशिया कप 2022 मस्कट, ओमान (कांस्य पदक)

• 100वीं वर्षगांठ स्पेनिश हॉकी, स्पेन 2023 (विजेता)

• जर्मनी दौरा (टेस्ट मैच) फ्रैंकफर्ट जर्मनी 2023

• दक्षिण अफ्रीका दौरा (टेस्ट मैच), केप टाउन 2023

• ऑस्ट्रेलिया दौरा (टेस्ट मैच), एडिलेड, ऑस्ट्रेलिया 2023

• एफआईएच हॉकी प्रो लीग 2021-2022 (महिला) (तीसरा स्थान)

• एफआईएच हॉकी महिला जूनियर विश्व कप दक्षिण अफ्रीका 2021 पोटचेफ्सट्रूम

• चिली टेस्ट सीरीज, सैंटियागो, चिली 2021 (स्वर्ण पदक)

• कैंटर फिट्जगेराल्ड यू 21, 4 नेशंस टूर्नामेंट, आयरलैंड 2019 (स्वर्ण पदक)

• बेलारूस के साथ सीरीज, बेलारूस 2019

• फ़्रांस के साथ सीरीज, भारत 2019 (विजेता)

• यूथ ओलंपिक गेम्स क्वालीफ़ायर, थाईलैंड 2018 (रजत पदक)

• तीसरा यूथ ओलंपिक गेम्स, ब्यूनस आयर्स 2018 (रजत पदक)

• 6 राष्ट्र आमंत्रण टूर्नामेंट, बेल्जियम 2018 (रजत पदक)

• ऑस्ट्रेलियाई हॉकी लीग, ऑस्ट्रेलिया 2017 (भागीदारी(

 

राष्ट्रीय उपलब्धियां

• 10वीं सीनियर नेशनल चैंपियनशिप 2020 कोल्लम (कांस्य पदक)

• ऑल इंडिया गुरुनानक देव गोल्ड कप 2019 अमृतसर (स्वर्ण पदक)

• 8वीं जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2018 भोपाल (भागीदारी)

• ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी हॉकी टूर्नामेंट 2018 भुवनेश्वर (स्वर्ण पदक)

• ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी हॉकी टूर्नामेंट 2017 कुरुक्षेत्र (स्वर्ण पदक)

• 7वीं जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2017 भोपाल (स्वर्ण पदक)

• पहला खेलो इंडिया नेशनल चैंपियनशिप 2017 गुजरात (स्वर्ण पदक)

• 7वीं सीनियर नेशनल चैंपियनशिप 2017 रोहतक (भागीदारी)

• 23वीं नेहरू जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2016 दिल्ली (रजत पदक)

• 6वीं सीनियर नेशनल चैंपियनशिप 2016 बैंगलोर (कांस्य पदक)

• 6वीं जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2016 रांची में (भागीदारी)

• 6वीं सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2016 रोहतक (कांस्य पदक)

• 5वीं सीनियर नेशनल चैंपियनशिप 2015 सैफई (भागीदारी)

• 5वीं जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2015 राजनांदगांव (भागीदारी)

• 5वीं सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2015 रांची (भागीदारी)

• 22वीं नेहरू जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2015 दिल्ली (भागीदारी)

• चौथी सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2014 पुणे (स्वर्ण पदक)

• विमेन्स नेशनल चैंपियनशिप 2014 चित्रदुर्ग (स्वर्ण पदक)

• 21वीं नेहरू जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2014 दिल्ली (कांस्य पदक)

• तीसरी जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2013 रांची (रजत पदक)

• 20वीं नेहरू जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2013 दिल्ली (स्वर्ण पदक)

सन्दर्भ स्रोत : इशिका चौधरी और कोच परमजीत सिंह से सीमा चौबे की बातचीत पर आधारित

© मीडियाटिक

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