छाया :द ब्यूरोक्रेट न्यूज़
अपने क्षेत्र की पहली महिला
• राकेश दीक्षित
• 2010 में राष्ट्र मंडल के खेलों के दौरान नवाचारी प्रयोगों से हुई थीं चर्चित
• जिस विभाग में गयीं वहीं अपनी छाप छोड़ी
• सूचना प्राद्यौगिकी मंत्रालय में बतौर सचिव काम-काज का किया डिजिटल रूपांतरण
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि भव्य देसी -विदेशी टीवी चैनलों की गलाकाट टीआरपी स्पर्धा में नीरस और उबाऊ समझा जाने वाला दूरदर्शन भी एक वक़्त गंभीर प्रतिद्वंद्वी बन गया था और इस “सरकारी भोंपू ” की आमदनी में खासा इज़ाफा हुआ था ? यह चमत्कार 2010 में दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान हुआ था। क्रीड़ा स्पर्धाओं के कवरेज में नवाचारी प्रयोग और नवीनतम प्रौद्योगिकी अपनाकर दूरदर्शन ने अप्रत्याशित वाहवाही बटोरी थी। तब 1982 बैच की आईएएस अधिकारी डॉ अरुणा (लिमये) शर्मा दूरदर्शन की महानिदेशक थीं। उन्होंने अपनी टीम के साथ खेलों के कवरेज में जिस कल्पनाशीलता और लगन से करोड़ों दर्शकों को आकृष्ट किया उसकी आज भी मिसालें में दी जाती हैं।
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विदुषी प्रशासक डॉ शर्मा के बहुमुखी व्यक्तित्व के और भी अनेक आयाम हैं। वे आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक और जन स्वास्थ्य के सवालों पर समग्र (होलिस्टिक) विचार कर नीतियाँ बनाने और लागू करने की प्रबल पक्षधर हैं। जिस भी विभाग या मंत्रालय में उनकी नियुक्ति हुई, डॉ शर्मा ने वहाँ अपने श्रेष्ठ अकादमिक ज्ञान और प्रशासनिक कुशलता की मिलीजुली छाप छोड़ी। उन्होंने बाथ विश्वविद्यालय,ब्रिटेन से वैकासिकी अध्ययन में स्नातकोत्तर उपाधि पाई। फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से विकास अर्थशास्त्र में पीएचडी हासिल की।
भोपाल में पली -बढ़ी अरुणा के पिता जीडी लिमये यहाँ के भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड में अधिकारी थे। अरुणा की आरम्भिक शिक्षा भोपाल में ही हुई।19 अगस्त 1958 को जन्मी इस उत्कृष्ट प्रशासनिक अधिकारी का विवाह भारतीय सेना के अधिकारी कर्नल विजय शर्मा के साथ हुआ। उनका एक बेटा है। भोपाल में ही बसने के इरादे से उन्होंने यहाँ एक घर भी ख़रीदा है। लेकिन सेवानिवृत्ति उपरांत मिली दूसरी जिम्मेदारियों के चलते वे फ़िलहाल नई दिल्ली में ही हैं।
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मध्यप्रदेश में वे अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रही हैं जैसे प्रमुख सचिव-लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, प्रबंध निदेशक-दुग्ध विकास महासंघ। कुछ समय तक उन्होंने राज्य सरकार में जनसंपर्क आयुक्त का काम भी सम्हाला था। दिल्ली से प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव भी रहीं। इस पद पर रहते हुए उन्होंने कुछ नवाचारी प्रयोग किये। अपने अर्जित अनुभव के आधार पर उन्होंने मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल टेक्नोलॉजी अपनाकर गरीबी घटाने के सरकारी कदमों पर एक लम्बा आलेख तैयार किया। इसे ‘डेवलपमेंट पॉलिसी रिव्यू’ ने प्रकाशित किया।
वर्ष 2018 में इस्पात मंत्रालय से सेवानिवृत्त होने के बाद डॉ.अरुणा शर्मा तीन महत्वपूर्ण संस्थानों में स्वतंत्र निदेशक मनोनीत हुईं। आर्थिक मामलों में उनकी व्यापक समझ का सम्मान करते हुए मैक्रोफिनांस इंस्टिट्यूशन्स नेटवर्क (एम एफ आई एन) ने 2019 में उन्हें अपना स्वतन्त्र निदेशक बनाया। इस्पात मंत्रालय में उनके उल्लेखनीय काम को पहचान कर जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जे एस पी एल) ने भी उन्हें यही सम्मान दिया है। वेलस्पन इंटरप्राइजेज लिमिटेड से भी वे निदेशक की हैसियत से जुड़ी हैं।
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वे भारत सरकार में डिजिटल क्रांति के प्रवर्तन (digital revolution) की एक के महत्वपूर्ण स्तम्भ भी हैं। केन्द्र सरकार में इस्पात मंत्रालय से पहले डॉ. शर्मा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्राद्यौगिकी मंत्रालय में सचिव (Secretary, Ministry of Electronics and Information Technology) थीं। इस पद पर रहते उन्होंने सरकारी कामकाज के डिजिटल रुपांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
समग्र सॉफ्टवेयर की अवधारणा से लेकर क्रियान्वयन में उनकी महती भूमिका रही। इस सॉफ्टवेयर में भारत के घरों ,व्यक्तियों और उनसे जुड़ी अनेक घरेलू जानकारियों को डाटा -बध्द किया गया है। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों के खातों में सीधे धनराशि पहुँचाने की महत्वाकांक्षी योजना –डायरेक्ट बेनेफिशरी ट्रांसफर (Direct Beneficiary Transfer डीबीटी) का सफल क्रियान्वयन समग्र सॉफ्टवेयर की मदद से ही संभव हो पाया है। एक और सॉफ्टवेयर 'पंच परमेश्वर' (Software 'Panch Parmeshwar') का निर्माण भी डॉ. अरुणा की देखरेख में हुआ। इस सॉफ्टवेयर ने न केवल पंचायत, ब्लॉक से लेकर जिला-स्तर तक के विकास कार्यों की केंद्रीय निगरानी को सुलभ बनाया बल्कि इनमें कैशलेस लेन -देन (Cashless Transactions) सुनिश्चित कर निचले स्तर पर भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगाया। वित्तीय समावेश की अवधारणा पुष्ट करने और इससे ग़रीब तबक़ों को जोड़ने में लिए अनेक डिजिटल प्रयोगों की सफलता का श्रेय भी डॉ. अरुणा के खाते में जाता है। डिजिटल भुगतान की व्यवस्था और व्यापक बनाने के लिए रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा गठित पांच -सदस्यीय समिति में डॉ शर्मा भी शामिल हैं।
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इस्पात मंत्रालय में उन्होंने नई राष्ट्रीय इस्पात नीति (New National Steel Policy) का प्रारूप तैयार किया जिसके लागू होने से देश में इस सेक्टर को नई ऊर्जा मिली ।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव के रूप में उन्होंने अपना फोकस उन कारकों पर केंद्रित किया जिनसे बीमारियाँ फैलती हैं और जन स्वास्थ्य सेवा पर अनावश्यक बोझ बढ़ता है। निर्मल पर्यावरण , साफ पीने का पानी, टीकाकरण, सुलभ और सस्ती दवाइयों की आम जन तक आसान पहुँच जैसे कारकों को डॉ शर्मा बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करने की दिशा ने ज़रूरी मानती हैं। वे राष्ट्रीय ज्ञान आयोग में स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा क्षेत्र की प्रतिनिधि -सदस्य रह चुकीं हैं। ग़ौरतलब है कि डॉक्टरेट के लिए उनके शोध -कार्य का विषय था कि किस तरह कुछ मनोवैज्ञानिक बाधाएं मरीज़ को जन स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच से रोकती हैं।
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डॉ शर्मा ने अपने संचित ज्ञान और विविध प्रशासनिक अनुभव को सरकारी सेवा तक ही सीमित नहीं रहने दिया। उन्होंने विषय -विशेषज्ञ की तरह अपना ज्ञान तीन किताबों और सैकड़ों आलेखों के जरिये भारत ही नहीं दुनिया भर में बाँटा है। वे नियमित रूप से फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस, इकनोमिक टाइम्स और सी एन बी सी -18 जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशनों के लिए लिखती हैं।
संदर्भ स्रोत – स्व सम्प्रेषित
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं
© मीडियाटिक
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