छाया : मीडिएशन सेंटर डॉट इन
स्वस्थ और खुशहाल रिश्तों के लिए धैर्य एक महत्वपूर्ण गुण है, लेकिन वर्तमान में धैर्य और सहनशीलता की कमी के बीच रिश्ते भी दरक रहे हैं। नतीजा भोपाल फैमिली कोर्ट में हर साल 3000 से ज्यादा केस पहुंच रहे हैं। कोर्ट पर बढ़ते इस दबाव को कम करने और परिवारों को बचाने भोपाल की प्राध्यापक डॉ. प्रतिभा राजगोपाल ने एक पहल की और पेंशन लोन लेकर भोपाल में मध्यस्थता केन्द्र की स्थापना की।
मप्र महिला संसाधन केंद्र की पूर्व निदेशक व वर्तमान प्राध्यापक में डॉ. प्रतिभा व अधिवक्ता सुशील कुमार जैन द्वारा संचालित यह केंद्र संभवतः मप्र का पहला ऐसा केंद्र है। बीते साल फरवरी में शुरू केंद्र में दस माह में 30 मामले पहुंचे, इनमें से 18 का निराकरण हुआ है। केंद्र को सुप्रीम कोर्ट ने पुरस्कृत किया है।
इस तरह करते हैं समाधान
केस -1
विनय (परिवर्तित नाम) शासकीय सेवा में तृतीय श्रेणी कर्मचारी है पत्नी गृहिणी है दोनों के विवाह हुए 20 वर्ष हो गए कुशल जीवन व्यतीत हो रहा था, फिर विनय को अचानक शराब की लत लग गई, पति पत्नि में झगड़ा, मतभेद हो गए बात तलाक तक पहुंच गई फिर आपको मध्यस्ता केन्द्र की जानकारी मिली। मध्यस्ता केंद्र से वैकल्पिक समाधान निकाल दोनों से अलग-अलग और एक साथ बैठकर हुई मनोवैज्ञानिक और सामाजिक तरीकों से विचार हुआ, अपनी गलतियों का अहसास होने पर दोनों ने सकारात्मक निर्णय लिया कि हम साथ रहेंगे और बच्चों का भविष्य अच्छा बनाएंगे आज परिवार खुशहाल स्थिति में है विनय भी अब नीता और बच्चों का पूरा ख्याल रखते हैं।
केस -2
आशुतोष शर्मा प्रथम श्रेणी अधिकारी थे, उनके बच्चों में लड़की अंशिका अपना बुटीक चलाती थी। बेटा आयुष ऑस्ट्रेलिया में नौकरी करता था। माता-पिता की मृत्यु बाद संपत्ति को लेकर विवाद हो गया। भाई ने चुपचाप मकान बेचने का सौदा कर लिया, बहन को संपत्ति नहीं दी। अंशिका ने मध्यस्थता केंद्र से संपर्क किया। दोनों से बात कर मिडिएशन के माध्यम से भाई ने बहन को मकान से लगी हुई जमीन दी साथ में 2 लाख नगद दिए।
इस तरह मध्यस्थता के माध्यम से केन्द्र में विवाह सम्बन्धी विवादों, व्यक्तिगत विवादों सहित अन्य विवादों का समाधान, संवाद और मनोवैज्ञानिक दृष्टि से विधिक आधार पर किया जाता है।
मध्यस्थता केंद्र की संस्थापक डॉ. प्रतिभा राजगोपाल बताती हैं “मैंने अपने जीवन में पुरुष व महिलाओं को आपसी पारिवारिक विवाद में न्यायालय के चक्कर लगाते और आर्थिक व मानसिक रूप से परेशान होते देखा है। में उनकी उलझनों से विचलित थी। इसी बीच हाईकोर्ट के कुछ परिचित जजों ने मध्यस्थता केंद्र के माध्यम से विवादों के निराकरण का सुझाव दिया। मैंने केंद्र खोलने के लिए पेंशन लोन लिया और इस तरह मध्यस्थता केंद्र की शुरुआत हुई।
सन्दर्भ स्रोत : पीपुल्स समाचार
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