नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने मातृत्व सुख की चाह रखने वाली एक महिला को अंतरिम राहत दी है। हाईकोर्ट ने सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियम) अधिनियम 2021 के तहत पति की उम्र अधिक होने के बावजूद आईवीएफ प्रक्रिया जारी रखने के निर्देश संबंधित निजी अस्पताल को दिए हैं, जहां इस दंपती का इलाज चल रहा है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि पत्नी सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियम) अधिनियम के तहत निर्धारित आयु के मापदंड को पूरा कर रही है, जबकि पति की उम्र अधिक है। ऐसे में एक महिला को मातृत्व सुख पाने के प्रयासों से वंचित नहीं किया जा सकता। यदि इस मामले को विस्तृत सुनवाई के आधार पर आगे बढ़ाया जाता है और निर्णय लेने में समय लगता है तो इस दंपती को अपूर्णीय क्षति होगी। इसलिए आईवीएफ प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति दी जा रही है। संबंधित सेंटर को भी निर्देश दिए जा रहे हैं कि वह दंपती के पहले से संरक्षित शुक्राणु का इस्तेमाल आईवीएफ प्रक्रिया को जारी रखने में करें।
वर्ष 2011 से करा रहे इलाज
यह दंपती वर्ष 2011 से लेकर अब तक दिल्ली एम्स से लेकर मुंबई के लीलावती और हिंदुजा नेशनल हॉस्पिटल में आईवीएफ प्रक्रिया के जरिये मातृत्व सुख पाने के लिए इलाज करा चुके हैं। फिलहाल दिल्ली के एक निजी नामी अस्पताल में महिला के पति के शुक्राणु संरक्षित रखे हुए हैं, लेकिन पति की आयु अब 56 वर्ष होने के कारण निजी अस्पताल ने आईवीएफ प्रक्रिया करने से इनकार कर दिया है। हालांकि, पत्नी की उम्र 46 वर्ष 5 महीने है। ऐसे में महिला ने अपने मातृत्व सुख का हवाला देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
संदर्भ स्रोत : हिन्दुस्तान
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