केरल हाईकोर्ट : पत्नी को मोटी, बदसूरत

blog-img

केरल हाईकोर्ट : पत्नी को मोटी, बदसूरत
कहना भी तलाक का आधार

घरेलू हिंसा (Domestic Violence) के केस में हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है। दरअसल केरल कोर्ट ने पति, उसके भाई, भाई की पत्नी को पीड़ित की शक्ल, सूरत और शरीर पर भद्दे कमेंट करने को बॉडी शेमिंग (body shaming) माना और इसे तलाक का आधार माना है। केरल हाईकोर्ट के जस्टिस ए बदरुद्दीन ने एक महिला के पति के बड़े भाई की पत्नी द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने खुद को घरेलू हिंसा का आरोपी बनाने जाने पर विरोध जताया था और उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि पीड़ित के ससुराल में पति के भाई-बहनों द्वारा उसे उसके रंग-रूप के बारे में अपशब्द बोलना, उसे शर्मिंदा करना घरेलू हिंसा के बराबर है।

ये था पूरा मामला

पेश मामले में कन्नूर में कुथुपरम्बा पुलिस ने एक महिला की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि महिला को उसके ससुराल में घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। महिला ने पुलिस से शिकायत की थी कि उसका पति, ससुर और बड़े भाई की पत्नी उस पर उसके रंग-रूप को लेकर भद्दे कमेंट करते हैं।

 ये भी पढ़िए ...

 सुप्रीम कोर्ट : घरेलू हिंसा अधिनियम हर धर्म की महिला पर लागू

याची ने दिया था ये तर्क

महिला की शिकायत के बाद पुलिस ने आईपीसी की धारा 498 ए (पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता) के तहत केस दर्ज किया। इस एफआईआर को ही भाई की पत्नी ने केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोई में याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता के पति के बड़े भाई की पत्नी के रूप में वह धारा 498 ए के तहत ‘रिश्तेदार’ शब्द के दायरे में नहीं आती।

सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि भाई की पत्नी ने महिला के शरीर पर आपत्तिजनक बातें कहीं और उसकी पढ़ाई पर भी सवाल उठाते हुए उसे अपने देवर के लिए सही नहीं बताया था। जबकि याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इस तरह के आरोपों को घरेलू हिंसा नहीं माना जाए। हालांकि, हाईकोर्ट ने माना कि अपने वैवाहिक घर में रहने वाली विवाहित महिला, जहां पति के भाई-बहन और उनके जीवनसाथी भी रहते हैं, ऐसे जीवनसाथी को आईपीसी की धारा 498 ए के तहत ‘रिश्तेदार’ मान सकती है। पीठ ने आगे स्पष्ट किया कि शरीर को शर्मसार करना और शिकायतकर्ता की योग्यता पर सवाल उठाना, जैसा कि आरोप लगाया गया है, प्रथम दृष्टया धारा 498 ए के स्पष्टीकरण (ए) के तहत उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने की संभावना वाला जानबूझकर किया गया आचरण है।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



इलाहाबाद हाईकोर्ट : हिंदू विवाह केवल
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : हिंदू विवाह केवल , रजिस्टर्ड न होने से अमान्य नहीं हो जाता

जस्टिस मनीष निगम ने अपने फैसले में कहा, 'हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत जब शादी विधिवत तरीके से होती है, तो उसका रजिस्ट्रे...

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट :  अपने पसंदीदा शादीशुदा
अदालती फैसले

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट :  अपने पसंदीदा शादीशुदा , मर्द के साथ रह सकती है महिला

कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो उसे ऐसा करने से रोके।

दिल्ली हाईकोर्ट : पति की सैलरी बढ़ी
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : पति की सैलरी बढ़ी , तो पत्नी का गुजारा भत्ता भी बढ़ेगा  

महिला ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें गुजारा भत्ता बढ़ाने की उसकी अपील को खारिज कर दिया गया था।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : पत्नी के जीवित रहने
अदालती फैसले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : पत्नी के जीवित रहने , तक भरण-पोषण करने के लिए बाध्य है पति

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि आर्थिक रूप से सक्षम पति को अपनी पत्नी का भरण-पोषण करना होगा जब तक वह जीवित है भले...

दिल्ली हाईकोर्ट : ग्रामीणों के सामने तलाक लेकर
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : ग्रामीणों के सामने तलाक लेकर , नहीं किया जा सकता हिंदू विवाह को भंग

कोर्ट ने CISF के एक बर्खास्त कांस्टेबल को राहत देने से इनकार कर दिया जिसने पहली शादी से तलाक लिए बिना दूसरी शादी की थी।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : बिना वजह पति से दूरी बनाना मानसिक क्रूरता
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : बिना वजह पति से दूरी बनाना मानसिक क्रूरता

10 साल से मायके में पत्नी, हाईकोर्ट में तलाक मंजूर