मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले दिनों आईपीसी की धारा 498ए (पति के रिश्तेदारों द्वारा पत्नी पर क्रूरता) के दुरुपयोग को लेकर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने कहा कि कुछ मामलों में देखा गया है कि बिस्तर पर पड़े बुजुर्गों को भी महिला अत्याचार के मामलों में फंसाया गया है। अब इस धारा को भारतीय न्याय संहिता में सेक्शन 85 के रूप में शामिल किया गया है। कोर्ट ने कहा कि ससुराल में क्रूरता का शिकार होने वाली पीड़िताओं के प्रति हमारी हमदर्दी है, लेकिन उक्त धारा के दुरुपयोग की बात से इनकार नहीं किया जा सकता है।
जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस नीला गोखले की बेंच ने कहा कि क्रूरता से संबंधित इस धारा के तहत बिस्तर में पड़े अपाहिज बुजुर्गों को भी फंसाया जाता है, ऐसे में यदि धारा 498ए से जुड़े अपराध को समझौता योग्य (कंपाउंडेबल) बना दिया जाता तो, इस धारा से जुड़े हजारों मामलों का समाधान हो सकता है। इस पर, केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे वकील डी. पी. सिंह ने कहा कि उन्हें इस मामले में जवाब देने के लिए थोड़ा समय दिया जाए। इसके बाद बेंच ने मामले की सुनवाई 22 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।
राष्ट्रपति के पास भेजा गया है विधेयक
कोर्ट ने 2022 में धारा 498ए के तहत दर्ज मामलों को रद्द करते हुए केंद्र सरकार को इस धारा को समझौता योग्य करने का सुझाव दिया था। केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा था कि इस धारा को समझौता योग्य बनाना महिलाओं के हित में नहीं होगा। हालांकि राज्य सरकार ने एक विधेयक पारित कर इस धारा को समझौता बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। विधेयक को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया है।
इस मामले में राष्ट्रपति ने केंद्रीय महिला व बाल विकास विभाग से राय मांगी है। इसके बाद इसे दोबारा महाराष्ट्र सरकार के पास जरूरी जानकारी के लिए भेजा गया है। अब राज्य सरकार की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है।
संदर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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