महारानी अहिल्याबाई

blog-img

महारानी अहिल्याबाई

• सुधीर जैन, सतना

• डाक टिकटों में मप्र की महिलाएं

 पति और पुत्र के निधन के कैद संभाला राज-काज।

 महेश्वरी साड़ी का उद्योग करवाया प्रारंभ।

 जनहित के कार्यों पर दिया विशेष ध्यान।

इंदौर की पूर्व महारानी अहिल्याबाई होल्कर के सम्मान में दो डाक टिकट जारी किये जा चुके हैं। अहिल्याबाई का जन्म सन् 1725 में महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में हुआ था। उनका विवाह इंदौर रियासत के महाराजा मल्हार राव होल्कर के पुत्र खाण्डेराव होल्कर के साथ हुआ था। पति खण्डेराव की कुम्भेर के युद्ध में सन् 1754 में मृत्यु हो गई। उसके कुछ समय बाद ही अहिल्याबाई के ससुर का तथा इंदौर की गद्दी पर बैठने के केवल नौ माह बाद ही उनके पुत्र का स्वर्गवास हो गया। अत: इंदौर राज्य का राज-काज अहिल्याबाई को स्वयं देखना पड़ा। सन 1766 में उन्होंने होल्कर राज्य की राजधानी इंदौर से महेश्वर स्थानान्तरित कर दी, जहां उन्होंने महेश्वरी साड़ी का उद्योग प्रारंभ करवाया। उन्होंने राज सुधार, सडक़ें, मंदिर, धर्मशाला, कुंआ निर्माण आदि विशेष ध्यान दिया। अहिल्याबाई की स्मृति में इंदौर, प्रयाग, नासिक, गया, अयोध्या व महेश्वर में उनकी मूर्तियॉं एवं छतरी निर्मित की गईं। भारतीय डाक विभाग द्वारा 4 सितम्बर 1974 को जारी 25 पैसे मूल्य के डाक टिकट पर महेश्वर में स्थित अहिल्याबाई की छतरी का चित्र दर्शाया गया है। 25 अगस्त 1996 को जारी 2 रूपये मूल्य के रंगीन डाक टिकट पर अहिल्याबाई होल्कर का चित्र मुद्रित है।

लेखक डाक टिकट संग्राहक हैं।

© मीडियाटिक

इन्हें भी पढ़िये -

क्रांति त्रिवेदी

वीरांगना रानी दुर्गावती

वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



क्रांति त्रिवेदी
डाक टिकटों पर मध्यप्रदेश की महिला विभूतियाँ

क्रांति त्रिवेदी

हिन्दी की प्रख्यात लेखिका श्रीमती क्रान्ति त्रिवेदी का जन्म 28 सितम्बर 1932 को अविभाजित मध्यप्रदेश के रायपुर में हुआ था।

भीमाबाई जिनके युद्ध कौशल से अंग्रेज भी थे हैरान
स्वतंत्रता संग्राम में मप्र की महिलाएं

भीमाबाई जिनके युद्ध कौशल से अंग्रेज भी थे हैरान

भीमा बाई की संघर्ष गाथा समझने के लिए होलकर वंश की पृष्ठभूमि समझना आवश्यक है। इस वंश की स्थापना मल्हारराव होलकर (प्रथम) न...

अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाली छापामार योद्धा रानी राजो
स्वतंत्रता संग्राम में मप्र की महिलाएं

अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाली छापामार योद्धा रानी राजो

राजा पारीक्षित को जोरन गढ़ी में जिन्दा जलाए जाने की खबर जैसे ही उनकी रियासत जैतपुर पहुंची तो उनकी रानी राजो ने पति की मौ...

धार क्षेत्र में क्रांति की सूत्रधार रहीं रानी द्रोपदीबाई
स्वतंत्रता संग्राम में मप्र की महिलाएं

धार क्षेत्र में क्रांति की सूत्रधार रहीं रानी द्रोपदीबाई

अंग्रेज़ी हुकूमत के विरुद्ध क्रान्ति का झण्डा बुलन्द करने में भारत की वीरांगनाएं भी पीछे नहीं रही हैं। रानी द्रोपदी बाई...

जब शत्रुओं से घिर गई थीं रानी लक्ष्मीबाई
स्वतंत्रता संग्राम में मप्र की महिलाएं

जब शत्रुओं से घिर गई थीं रानी लक्ष्मीबाई

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अपने बलिदान से स्वाधीनता संग्राम के इतिहास पर अमिट छाप छोड़ी है।  उनके शौर्य और पराक्रम की प...