मध्यप्रदेश की बेटी ने संरा मानवाधिकार परिषद में किया भारत का प्रतिनिधित्व 

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मध्यप्रदेश की बेटी ने संरा मानवाधिकार परिषद में किया भारत का प्रतिनिधित्व 

छाया: न्यूज़ 18 डॉट कॉम

• इंदौर के सफाईकर्मी माता-पिता की बेटी जिनेवा में कर रही है पीएचडी

जिनेवा एक सरकारी स्कॉलरशिप पर 2 साल से स्विट्जरलैंड में पीएचडी कर रही इंदौर के एक सफाईकर्मी की बेटी ने जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 52वें सत्र में हाशिये पर रहने वाले लोगों को आगे बढ़ाने के लिए देश की प्रशंसा की हैरोहिणी घावरी नामक इस छात्रा ने कहा कि ‘यूएन की बैठक में हिस्सा लेने का उसे एक सुनहरा मौका मिला है  यूएन में भारत का प्रतिनिधित्व करना और भारत में दलितों की हालत के बारे में जागरूकता फैलाना मेरा सपना था  एक दलित लड़की होने के नाते इस तरह की जगह पर पहुंचने का मौका मिलना कठिन होता है 

अपने भाषण में रोहिणी ने कहा कि पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की तुलना में भारत में दलितों की स्थिति काफी बेहतर है  हमारे भारत में आरक्षण नीति है  मुझे खुद भारत सरकार से 1 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति मिली है  तो मैं खुद एक इसका उदाहरण हूं  एक सफाई कर्मचारी की बेटी होने के नाते हम यहां तक पहुंचे हैं, यह एक बड़ी उपलब्धि है.’ गौरतलब है कि पाकिस्तान लगातार भारत में अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों जैसे हाशिये के समुदायों से जुड़े मुद्दों पर सवाल उठाने की कोशिश करता रहता है 

रोहिणी ने कहा कि देश में बड़ा बदलाव हुआ है और आज हमारे देश की राष्ट्रपति एक आदिवासी द्रौपदी मुर्मू और एक ओबीसी नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं  देश की आजादी के 75 साल में दलितों के हालातों में बहुत बदलावों को देखा गया हैरोहिणी ने कहा कि हाशिये के लोगों में से शीर्ष पदों पर पहुंचने वालों की संख्या भले ही बहुत ज्यादा नहीं हो, मगर हमारे देश का संविधान बहुत मजबूत है  ये हाशिये पर रहने वाले समुदाय के हर सदस्य को ये अवसर देता है कि वो प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बनने का सपना देख सके  हर कोई हार्वर्ड और ऑक्सफोर्ड जा सकता है  भारत में इस तरह के बदलाव देखे जा सकते हैं 

नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप प्रोग्राम के तहत स्कॉलरशिप पाने वाली रोहिणी भारत में दलित समुदाय की स्थिति के बारे में जागरूकता फैलाना चाहती है  सफ़ाई कर्मचारियों के मुद्दे पर वह कहती है कि उनका दर्द मुझसे बेहतर कौन समझेगा  मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निवेदन करती हूं कि जल्द इनकी समस्याओं का हल निकाला जाए ताकि अब और लोग सीवर में न मरें  रोहिणी की मां नूतन घावरी कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल में सफाई कर्मी है  उनके पिता भी सफाईकर्मी थे, पर वे नौकरी छोड़कर राजनीति और समाजसेवा में लग गए  रोहिणी की दो बहन और एक भाई है  एक बहन डेंटल सर्जन है, जिसका चयन राज्य सरकार में मेडिकल अधिकारी के लिए हो चुका है  एक बहन एलएलबी कर रही है जबकि भाई इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा है  मां नूतन का कहना है कि, रोहिणी का मन बचपन से ही पढ़ाई में खूब लगता था  जब उसने पढ़ने की इच्छा जाहिर की तो हमने उसे जेवर गिरवी रखकर पढ़ाया रोहिणी ने मार्केटिंग में एमबीए किया  इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए मप्र सरकार के अनुसूचित जनजाति विभाग ने उसे स्कॉलरशिप दी है 

संदर्भ स्रोत: न्यूज़ 18 डॉट कॉम/दलित आवाज डॉट कॉम 

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