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राजनीति-विमर्श
• सारिका ठाकुर
मध्यप्रदेश की महिलाएं प्रतिभा की दृष्टि से सदैव सुर्ख़ियों में रही हैं। सन 1952 से लेकर अब तक कुल 18 महिलाएं मध्यप्रदेश के कोटे से राज्य सभा तक पहुंची हैं। वर्तमान में संपतिया उइके राज सभा में प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। वर्ष 2017 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल दवे के निधन के बाद खाली हुई सीट पर वह निर्वाचित हुई थीं। छिंदवाड़ा जिले की सीता परमानंद प्रदेश की पहली महिला राज्यसभा सदस्य थीं। वे वकालत छोडक़र राजनीति में सक्रिय हुईं। ऑक्सफोर्ड लंदन से उन्होंने बार एट लॉ की उपाधि हासिल की थी। श्रीमती परमानंद सीपी एण्ड बरार में ऑल इण्डिया वुमन कॉउन्सिल की अध्यक्ष रहीं। उन्होंने सन् 1926 में लंदन में आयोजित पहली महिला राष्ट्रमंडल सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। वहीं तीन बार राज्यसभा सदस्य रहीं प्रदेश के पूर्व सासंद-साहित्यकार सेठ गोविंद दास की सुपुत्री रतन कुमारी पहली बार अप्रैल 1976 में राज्यसभा के लिए चुनी गईं। इसके बाद लगातार अप्रैल 1982 एवं अप्रैल 1988 में भी वे राज्यसभा बनीं। उनकी पृष्ठभूमि साहित्यिक है। इसके अलावा उनकी रुचि कृषि, राजनीति और सामाजिक कार्यों में भी रही। वे कई संस्थाओं की संरक्षक थी। सन् 1982-84 तक वे समाज कल्याण बोर्ड की सदस्य रहीं। रतन कुमारी की दो पुस्तकें अंकुर और ऋतु पर्व में प्रकाशित हुईं हैं।
निमाड़ के गांधी कहे जाने वाले महेश्वर के सीताराम साधो जो स्वयं पांच बार विधायक और श्यामाचरण शुक्ल सरकार के संसदीय सचिव रहे, की सुपुत्री विजयलक्ष्मी साधो भी राज्यसभा की सदस्य रही हैं। उन्हें राजनीति विरासत में मिली। वे सन् 1985 में आठवीं विधानसभा के लिए पहली बार सदस्य चुनी गईं थी। सन् 1985 से 1993 तक संगठन में मध्य प्रदेश युवक कांग्रेस की महामंत्री रही विजयलक्ष्मी अनेक देशों की यात्राएँ कर चुकी हैं। उन्हें भाजपा शासन काल में जेल की यात्रा भी करनी पड़ी। सन् 1998 में तीसरी बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित होने के बाद उन्हें नर्मदा घाटी विकास विभाग का मंत्री बनाया गया था।
वहीं भूगोल विषय की पहली गोल्ड मेडेलिस्ट सईदा खातून को राज्यसभा सदस्य के लिए विशेष प्रयत्न नहीं करने पड़े। वे छ: वर्ष तक राज्यसभा सदस्य रहीं। वह आदिवासी और मुस्लिम महिलाओं के उत्थान के लिए हमेशा प्रयत्न करती रहीं। इसी तरह ईसाई समुदाय की सशक्त नेत्री मेबेल रिबेलो कांग्रेस पार्टी से सन 1998 में मप्र के कोटे से राज्यसभा के लिए चुनी गई थीं वर्तमान में वे झारखण्ड राज्य से राज्य सभा की सदस्य हैं। छिंदवाड़ा में जन्मी अनुसुईया ने सन 2006 से 2012 तक राज्यसभा सदस्य रहीं। वर्तमान में वह छत्तीसगढ़ की राज्यपाल हैं। राजमाता विजयाराजे सिंधिया के भाई ध्यानेद्र सिंह की पत्नी भाजपा नेत्री श्रीमती माया सिंह भाजपा में महिला मोर्चे की अध्यक्ष व महामंत्री का पद भी संभाल चुकी हैं। 2010 में वे राज्यसभा की सदस्यता बनीं की।
राज्य सभा में मध्यप्रदेश की महिलाओं में नजमा हेपतुल्लाह का नाम रेखांकित करने योग्य है। उन्होंने कई वर्षों तक राज्यसभा की उपसभापति के गरिमामय पद को सुशोभित किया है। राज्यसभा उपाध्यक्ष के नाते उनका विधि सम्मत और निष्पक्ष सभा संचालन सदस्यों को बहुत प्रभावित करता रहा। इसीलिए उनकी लोकप्रियता दलीय सीमाओं को लांघते हुए सर्वव्यापी हो गई। वर्तमान में वह मणिपुर राज्य की राज्यपाल हैं। इसके अलावा राज्यसभा में प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुकीं हस्तियों में विजया राजे सिंधिया, सुषमा स्वराज एवं जमुना देवी जैसे कुछ विशिष्ट नाम भी हैं जिनका दोनों सदनों में एकसमान प्रभाव रहा।
एक दृष्टि आंकड़ों पर –
- डॉ. श्रीमती सीता परमानंद : कांग्रेस 3 अप्रैल 1952 से 2 अप्रैल 1958 तक पुनः 3 अप्रैल 1958 से 2 अप्रैल 1964 तक (दो बार)
- श्रीमती कृष्णा कुमारी (पूर्ववर्ती विन्ध्य प्रदेश): आई.एन.सी. 3 अप्रैल 1954 से 1960 तक
- रुक्मणि बाई : कांग्रेस 3 अप्रैल 1956 से 2 अप्रैल 1962 तक
- श्रीमती विद्यावती चतुर्वेदी: कांग्रेस 3 अप्रैल 1966 से 2 अप्रैल 1972 तक पुनः 10 अप्रैल 1972 से 9 अप्रैल 1978 तक (दो बार)
- श्रीमती श्याम कुमारी देवी : कांग्रेस 3 अप्रैल 1968 से 2 अप्रैल 1974 तक पुनः 3 अप्रैल 1974 से 2 अप्रैल 1980 तक
- श्रीमती जमुना देवी: जे.एन.एन. 10. अप्रैल 1978 से 2.4.1980 तक
- श्रीमती मैमूना सुलतान : कांग्रेस(आई) 3 अप्रैल 1974 से 2 अप्रैल 1980 तक पुनः 30 जून 1980 से 29. जून 1986 तक (दो बार)
- रतन कुमारी : कांग्रेस 3 अप्रैल 1976 से 2 अप्रैल 1982 तक पुनः 3 अप्रैल 1982 से 2 अप्रैल 1988 तक पुनः 3 अप्रैल 1988 से 2 अप्रैल 1994 तक (तीन बार)
- सईदा खातून : 1986-1992
- विजया राजे सिंधिया: जे.डी. 10 अप्रैल 1978 से 9 अप्रैल 1984 तक पुनः बी.जे.पी से 10 अप्रैल 1984 से 9 अप्रैल 1990 तक (दो बार)
- श्रीमती वीणा वर्मा: कांग्रेस आई 26 जून 1986 से 2 अप्रैल 1988 तक पुनः 3 अप्रैल 1988 से 2 अप्रैल 1994 तक पुनः 3 अप्रैल 1994 से 2 अप्रैल 2000 तक
- मैवल रिबेलो : आई.एन.सी. जून 1998 से 29 जून 2004 तक
- माया सिंह : बी.जे. पी. 10 अप्रैल 2002 से 9 अप्रैल 2008 तक पुनः 10 अप्रैल 2008 से 9 अप्रैल 2014 तक (दो बार )
- सुश्री अनुसुइया उइके: बीजेपी : 3 अप्रैल 2006 से 2 अप्रैल 2012 तक
- श्रीमती सुषमा स्वराज: बी.जे.पी. 3 अप्रैल 2006 -2 अप्रैल 2012 तक
- डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ: आई.एन.सी. 30 जून 2010 से 29 जून 2016 तक
- नजमा हेपतुल्ला: बी.जे.पी. 3 अप्रैल 2012 से 2 अप्रैल 2018 तक
- संपतिया उईके: 2017-2022
लेखिका मीडियाटिक की संपादक हैं ।
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