छाया : एचएमआईसी डॉट यूके
शिक्षा-विमर्श
• राजू कुमार
मध्यप्रदेश में महिलाओं को शिक्षित बनाने के लिए लगातार अभिनव प्रयास किए जाते रहे हैं। जनगणना 2011 के प्रारंभिक आंकड़ों को देखें, तो प्रदेश को महिला साक्षरता में ज्यादा सफलता मिली है। 2001 की तुलना में 2011 की जनगणना में महिला साक्षरता में 9.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। निश्चय ही यह प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि है, पर महिला साक्षरता में मध्यप्रदेश राष्ट्रीय औसत से लगभग 5 फीसदी पीछे है और 2001 के 24 वें स्थान की तुलना में 2011 में प्रदेश 28 वें स्थान पर आ गया है। महिला साक्षरता में भी मध्यप्रदेश 2011 में 28 वें स्थान पर है। इस दरम्यान प्रदेश की जनसंख्या 20.3 फीसदी बढ़ी है, पर साक्षरता में 6.89 फीसदी ही बढ़ोतरी हुई है। देश में महिला साक्षरता 2011 के अनुसार 65.46 फीसदी है, जबकि मध्यप्रदेश में 60.02 फीसदी है। 2001 की जनगणना के अनुसार अनुसूचित जाति की महिलाओं में 43.3 फीसदी एवं अनुसूचित जनजाति की महिलाओं में 28.4 फीसदी साक्षरता है। 2011 की जनगणना में भी यदि हम देखें, तो पाएंगे कि साक्षरता में पिछड़े जिले अनुसूचित जनजाति वाले जिले ही हैं। यानी इस बार भी अजा एवं अजजा में महिला साक्षरता सामान्य महिला की तुलना में कम ही होगी। 2001 के अनुसार मध्यप्रदेश की साक्षरता में लैंगिक अंतर 25.77 फीसदी था, पर अब 2011 के अनुसार यह घटकर 20.51 हो गया है, जिसे संतोषजनक कहा जा सकता है।
मध्यप्रदेश की जनसंख्या
वर्ष पुरुष महिला जनसंख्या देश में हिस्सेदारी देश में स्थान
2001 3,14,43,652 2,89,04,371 6,03,48,023 6.1 7
2011 3,76,12,920 3,49,84,645 7,25,97565 6.0 6
मध्यप्रदेश में साक्षरता की स्थिति (प्रतिशत में)
वर्ष कुल पुरुष महिला अंतर
1991 44.7 58.5 29.4 29.2
2001 63.7 76.1 50.3 25.8
2011 70.6 80.5 60.0 20.5
महिला साक्षरता में अगड़े 5 जिले (प्रतिशत में)
जिला साक्षरता
भोपाल 76.6
जबलपुर 75.3
इंदौर 74.9
बालाघाट 69.7
ग्वालियर 68.3
उपर्युक्त आंकड़ों को शासन द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के सकारात्मक परिणाम के रूप में दर्ज करना चाहिए जिसका असर जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी नज़र आने लगा है। उदाहरण के लिए -2011 के आंकड़ों में सर्वाधिक महिला साक्षरता दर्ज करवाने वाले जिलों(भोपाल, जबलपुर, इंदौर, बलाघाट एवं ग्वालियर) के क्षेत्रों में नवजात शिशु मृत्यु दर में एवं गर्भवती माताओं की मृत्यु दर में गिरावट भी दर्ज की गयी है जिसका श्रेय शिक्षा के क्षेत्र में विकास को दिया जाना चाहिए।
महिला साक्षरता में पिछड़े 5 जिले (प्रतिशत में)
जिला साक्षरता
अलीराजपुर 31.0
झाबुआ 34.3
बड़वानी 43.1
श्योपुर 44.5
शिवपुरी 49.5
विभिन्न शोधकर्ताओं द्वारा किए गए पड़ताल के आधार पर यह पाया गया कि उपर्युक्त जिन जिलों में साक्षरता दर कम पाया गया है वहाँ की भौगोलिक स्थिति बालिका शिक्षा के अनुकूल नहीं है । उन्हें स्कूल के लिए काफी दूर जाना पड़ता है। इसके अलावा इन क्षेत्रों में अन्य मदों की तुलना में शिक्षा के लिए शासन स्तर पर बजट भी बहुत कम रखे जाते हैं। कई स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था न होना भी प्रमुख कारणों में से एक है।
विद्यालयीन बालिकाओं के लिए योजनाएं
नि:शुल्क साइकिल वितरण
इस योजना के तहत कक्षा 6 में जाने वाली एवं नौवी की उन सभी बालिकाओं को मुफ्त में साइकिल दी जाती है, जिन्हें दूसरे गांव में पढऩे जाना पड़ता है। यधपि यह योजना प्रदेश के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के है।
सामान्य निर्धन वर्ग के परिवारों की बालिकाओं के लिए छात्रवृत्ति
इसके तहत 54,000 रुपए से कम आय वाले परिवारों की कक्षा 6 से 8 में पढऩे वाली बालिकाओं को 300 रुपए वार्षिक छात्रवृत्ति दी जाती है।
बालिकाशिक्षा के लिए केंद्र सरकार का विशेष कार्यक्रम (एन.पी.इ.जी.इ.एल.)
इसके तहत 280 विकासखंडों में नि:शुल्क गणवेश वितरण की योजना पर अमल किया जा रहा है।
आवासीयबालिका विद्यालय
बालिका छात्रावास के तहत प्राथमिक स्तर की पढ़ाई के बाद मध्य शाला की सुविधा गांव में उपलब्ध नहीं होने पर पढ़ाई छोडऩे वाली बालिकाओं को मध्य शाला के साथ आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बालिका छात्रावास का संचालन। इस योजना के तहत 200 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय का संचालन किया जा रहा है। 19669 बालिकाएं लाभान्वित हुई हैं।
बालिका शिक्षा प्रोत्साहन योजना
केंद्र सरकार के सहयोग से बालिका शिक्षा प्रोत्साहन योजना चलाई जा रही है।इसका उद्देश्य कमजोर वर्ग की बालिकाओं को उच्च शिक्षा की मुख्य धारा में बनाए रखना है।अजा एवं अजजा वर्ग की वे बालिकाएं जो शासकीय या अनुदान प्राप्त अशासकीय या स्थानीय निकाय द्वारा संचालित विद्यालय में कक्षा 9वीं में पढ़ रही हैं, को शामिल किया गया है। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय से उत्तीर्ण सभी बालिकाएं इस योजना में शामिल रहती हैं। इसके लिए पात्रता 16 साल से कम की अविवाहित बालिका होना है। आगे पढऩे पर शासन द्वारा प्रोत्साहन राशि के रूप में इनके खाते में 3000 रुपए जमा कराया जाता है, जिसे बालिका 18 साल पूरे होने के बाद 10 वीं उत्तीर्ण करने के बाद निकाल सकती है।
लेखक पत्रकार हैं ।
© मीडियाटिक
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