छाया : शी द पीपल
विधि-विमर्श
विभिन्न कालखण्डों में महिलाओं की अस्मिता पर हमले होते रहे हैं, समय के साथ इनके स्वरूप में कुछ बदलाव जरुर देखा सकता है लेकिन मनोवृति की विकृतियाँ आज भी वही हैं। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो जो गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है, की रपट के अनुसार वर्ष 2008 में महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधों के मामले में मध्यप्रदेश पाँचवे पायदान पर था. इससे पहले यह चौथे क्रम पर था।
राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो की अंतिम 2017 की रिपोर्ट अक्तूबर 2019 में जारी की गई, जिसके अनुसार वर्ष 2017 के आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश दुष्कर्म के मामले में देशभर में शीर्ष पर है। 2016 की तुलना में इस वर्ष 14.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी। इस वर्ष 5599 महिलाओं के साथ ज्यादती हुई, 3082 मासूम और नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं हुईं ।इस आंकड़े के मुताबिक़ मध्यप्रदेश में एक वर्ष के भीतर 3 हज़ार से अधिक बच्चियों के साथ शर्मनाक घटनाओं के मामले में मध्यप्रदेश पहले स्थान पर है। 2015 से 20 7 के दौरान 8.3 प्रतिशत महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि हुई, जबकि सभी तरह के अपराधों में कुल 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी। पुलिस थानों में दर्ज मामलों की दृष्टि से भी यह ग्राफ बढ़ते हुए क्रम में नज़र आता है। उदाहरण के लिए वर्ष 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 24 हज़ार 231 मामले सामने आए, वर्ष 2016 में 26 हजार 604 मामले दर्ज हुए जबकि वर्ष 2017 में 29 हज़ार 788 मामले प्रदेश भर के थानों में दर्ज हुए। निःसंदेह यह तस्वीर चिंताजनक है क्योंकि आंकड़े कभी शत प्रतिशत सच्चाई बयां नहीं करते। हज़ारों मामले या तो थानों तक पहुँचते नहीं है, पहुँच भी गए तो कई बार दर्ज नहीं होते।
यद्यपि 3 जून 2019 को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया कि 2017 के मुकाबले दुष्कर्म के मामलों में 2018 में 3.5 फीसदी की एवं अन्य मामलों में 5.51 फीसदी की कमी आई है।
संपादन – मीडियाटिक डेस्क
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