अल्पना वाजपेयी

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अल्पना वाजपेयी

  कलाकार - संगीत एवं नृत्य 

मध्यप्रदेश की अग्रणी कथक नृत्यांगनाओं में शुमार श्रीमती अल्पना वाजपेयी का जन्म बुरहानपुर में 15मई 1963 में हुआ। पिता विष्णु दयाल शुक्ल सेंट्रल एक्साइज इंस्पेक्टर थे और माँ इंदुमती गृहिणी थीं। अल्पना जी की प्रारंभिक शिक्षा शासकीय माध्यमिक कन्या शाला, इटारसी में हुई। उनका परिवार पारंपरिक विचारधारा का था परन्तु वे रूढ़िवादी नहीं थे। माता-पिता के साथ समुचित विमर्श एवं संवाद के कारण उनमें आत्मविश्वास की कभी कमी नहीं रही। अल्पना जी को बचपन से ही नृत्य में रुचि थी। उनकी माँ गाती थीं, उन्हें नृत्य का भी शौक था। हालाँकि उन्होंने कोई विधिवत शिक्षा नहीं ली थी। विद्यालय में आयोजित विभिन्न समारोहों के लिए बिटिया को नृत्य और गायन का अभ्यास वही करवाती थीं। इसके अलावा स्कूल में भी एक शिक्षिका थीं, जिन्होंने उन्हें प्रशिक्षित कर रवीन्द्र संगीत पर आधारित एकल प्रस्तुति स्कूल स्तर पर करवाई थी। महाविद्यालय की शिक्षा उन्होंने एम.जी.एम. कॉलेज से ली, लेकिन नृत्य अपना लेने के कारण कॉलेज की पढ़ाई छूट गई।

वर्ष 2081 में चक्रधर नृत्य केंद्र, भोपाल में प्रथम सत्र के लिए प्रविष्टि निकाली गई। माँ के सुझाव पर अल्पना जी ने आवेदन कर दिया और प्रतिभा के आधार पर उनका चयन कर लिया गया । इस तरह वह भोपाल आ गईं। चार सालों तक उन्होंने कामकाजी महिला छात्रावास में रहकर नृत्य की शिक्षा प्राप्त की। उस वक्त गुरु के पद पर पंडित रामलाल जी एवं कार्तिक राम जी वरिष्ठ गुरु के पद पर आसीन थे। प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद वह चक्रधर नृत्य केंद्र में ही सहायक गुरु बन गयीं और बच्चों को नृत्य सिखाने लगीं। इसके बाद मंच पर प्रस्तुतियाँ देने का सिलसिला शुरू हो गया। पहला नृत्य प्रदर्शन चक्रधर नृत्य केंद्र से प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद आयोजित ‘उत्तराधिकार’ कार्यक्रम के तहत हुआ एवं दिल्ली में आयोजित ‘शरद चन्द्रिका’ आयोजन में प्रस्तुति देकर करियर की शुरुआत की। वर्ष 1984 में उन्हें उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी से एवं 1993 में भारत सरकार से तीन-तीन वर्षों के लिए सीनियर फैलोशप प्राप्त हुई। बीच के समय अंतराल में वे देश के विभिन्न समारोहों में प्रस्तुतियां देती रहीं।

चक्रधर नृत्य केंद्र में प्रशिक्षण के दौरान वाजपेयी दंपत्ति (अशोक वाजपेयी एवं रश्मि वाजपेयी) के घर इनका आना-जाना अक्सर होता था, उसी दौरान परिवार के सदस्यों ने उन्हें अशोक जी के अनुज उदयन जी के लिए पसंद कर लिया, बात चली और आपसी सहमति से वर्ष 1991 में उदयन वाजपेयी जी के संग परिणय सूत्र में बंध गयी। उदयन जी स्वयं साहित्यकार हैं, एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध एवं प्रबुद्ध परिवार में विवाह होने के कारण अल्पना जी को नृत्य विधा को जारी रखने में किसी किस्म की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा।

अल्पना जी नृत्य के अभिनय पक्ष की विशेषज्ञ मानी जाती हैं। इन्होंने ब.व. कारन्त के नाटक सशस्त्र-संतान/कुमार शाहनी, ग्वालियर घराने के ख्याल गायन पर आधारित फ़िल्म ‘ख्याल गाथा’ और अमित दत्ता की 28वीं शती के चित्रकार पर आधारित फ़िल्म ‘नयनसुख’ में अभिनय किया। नृत्य में अभिनव प्रयोग करते हुए ग़ालिब की शायरियों के माध्यम से कथक में ईसा-मसीह को प्रस्तुत किया, मालवा के राजा बाजबहादुर और रानी रूपमती के प्रेम पर आधारित नृत्य संरचना का संयोजन कर उसका शारजाह, नयी दिल्ली, भोपाल आदि कई स्थानों पर प्रदर्शन किया। रवीन्द्रनाथ टैगोर की कृति उर्वशी और तपोभंग पर आधारित नृत्य संरचना आदि कुछ ऐसे प्रयोग रहे जिनकी वजह से पहली पंक्ति की नृत्यांगनाओं में अल्पना जी शुमार होने लगीं।

वर्ष 1996 में सुरसिंगार संसद ने उन्हें श्रृंगार मणि सम्मान से सम्मानित किया। वर्ष 2003 में लोक संस्कृति संस्थान, लखनऊ द्वारा कला मनीषी सम्मान एवं वर्ष 2018 में प्रभात गांगुली रंग रत्न अवार्ड प्राप्त हुआ। वर्ष 2013 में जिस चक्रधर नृत्य केंद्र में उन्होंने शिक्षा प्राप्त की थी, उसी में वरिष्ठ गुरु के पद पर आसीन हुईं और तब से वे केंद्र का सफलतापूर्वक  संचालन कर रही हैं। अल्पना जी के दो जुड़वाँ बेटे हैं, दोनों ही गुजरात के सूरत में बैंक अधिकारी हैं। दोनों में जन्मजात साहित्यिक अभिरुचि है, उनमें से एक हिंदी में, तो दूसरे अंग्रेज़ी में कविताएं लिखते हैं।

संदर्भ स्रोत – स्व संप्रेषित एवं अल्पना जी से बातचीत पर आधारित

© मीडियाटिक

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