अर्चना यादव

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अर्चना यादव

छाया : स्व संप्रेषित

चित्रकार

अर्चना यादव भारत के कला क्षेत्र में एक मान्यता प्राप्त अमूर्त शैली की चित्रकार हैं जो पिछले 15 वर्षों से अधिक समय से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। अब तक उन्होंने 12 एकल प्रदर्शनियों, 60 से ज़्यादा समूह प्रदर्शनियों और 30 से अधिक कला शिविरों में भाग लिया है। वे कला के साथ-साथ खेल के क्षेत्र में भी रुचि रखती हैं। उन्होंने अंतर्राज्यीय प्रतियोगिता में जूडो में राष्ट्रीय स्तर तक मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व किया है। कला क्षेत्र में उन्हें कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों तथा सम्मानों से नवाज़ा गया है।

राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें 25 से ज्यादा पुरस्कार मिले हैं जिनमे चर्चित रज़ा अवार्ड जूनियर फ़ेलोशिप शामिल है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें केबीएस नोटासीस, स्विट्ज़रलैंड द्वारा पूरे विश्व में से किसी एक देश के केवल एक कलाकार को 2013 के ‘साल के कलाकार’ से सम्मानित किया गया है जिसके अंतर्गत 6 लाख की नकद राशि प्रदान की गई और उनकी एक पेंटिंग की डिजिटल कॉपी को विश्व में मौजूद उनकी सभी शाखाओं में प्रदर्शित किया गया !

अर्चनाजी का जन्म भोपाल में 1 दिसम्बर, 1979 को हुआ। उनके पिता पूरण लाल यादव, भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमि. में अभियंता थे, माँ उर्मिला एक गृहिणी हैं। कला से अर्चना का परिचय बचपन में ही उनके पिता ने करवाया, जो खुद एक शौकिया कलाकार हैं। वे अपनी युवावस्था से ही पोट्रेट, पोस्टर, मूर्ति और नक्काशी का काम किया करते थे। नतीजतन अर्चना रंगों और कूचियों के साथ खेलते हुए बड़ी हुईं। खुद को मजबूत बनाने के लिए उन्होंने जूडो सीखना तय किया और इसके लिए 8-9 साल से ही स्पोर्ट्स क्लब में दाख़िला ले लिया। वर्ष 2004 में अर्चना ने दृश्य कला में स्नातक तथा स्नातकोत्तर की डिग्री भोपाल के महारानी लक्ष्मीबाई महिला महाविद्यालय से प्राप्त की।

वे अपनी सुंदर अमूर्त कलाकृतियों के लिए जानी जाती हैं, जिनमें कम से कम रंगों के प्रयोग से भी अभिव्यक्ति को भावपूर्ण बनाया जाता है।खास तौर से सफ़ेद रंग का प्रयोग उनके शांत चित्रों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अर्चना ने बहुस्तरीय सफेद रंग के अनगिनत शेड्स से कई अमूर्त सुंदर चित्र बनाए हैं। कला प्रेमियों को उनकी कला की परिपक्वता चकित करती है। चित्रकारी अर्चना के लिए बहुत आंतरिक और व्यक्तिगत चीज़ है। उनके अनुसार कैनवास उन्हें संवाद करने के लिए आमंत्रित करता है। यह संवाद तब तक जारी रहता है जब तक वह विचारों के शिखर तक नहीं पहुंच जातीं।

25 दिसंबर 2013 में दिल्ली निवासी राकेश कुमार राय से विवाह के बाद अर्चना जी को पति के रूप में अपनी कला का विस्तार करने में एक ऐसे सहयोगी मिले जो चित्रकला और चित्रकार – दोनों का सम्मान करते हैं। राकेश जी स्वयं व्यवसायी एवं समाजसेवी हैं।  वर्तमान में अर्चना जी अपने पति और साढ़े तीन वर्ष की बिटिया हिमान्या के साथ जयपुर में निवास कर रही हैं एवं एक कला संस्था ‘हिमान्या आर्ट फाउंडेशन’ का संचालन कर रही हैं। इस संस्था की शाखाएं दिल्ली, भोपाल एवं जयपुर तीनों स्थानों पर है ।

उपलब्धियां

  1. 2012: अंतर्राष्ट्रीय फ़ेलोशिप, के.बी.एस. नोटासीस, स्विटज़रलैंड
  2. 2010: विजयंत कला सम्मान,  डेबोरा महिला एवं बाल विकास संस्था , लखनऊ
  3. 2008: रेजीडेंसी छात्रवृत्ति कार्यक्रम, रुचिका आर्ट गैलरी, गोवा
  4. 2007: जुनियर  फ़ेलोशिप -2007-09, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार
  5. 2006:   दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, नागपुर (प्रोफेशनल कैटेगरी-अवार्ड) तथा “हाईली कमिटेड सर्टिफ़िकेट, इंडियन एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स, अमृतसर द्वारा,
  6. 2005:रज़ा अवार्ड, एम.पी.कला परिषद,  भोपाल, एम. पी. स्टेट अवार्ड, इंदौर द्वारा, सर्टिफ़िकेट अवार्ड, एस.सी.जेड.सी.सी अवार्ड नागपुर द्वारा एवं स्वर्ण पदक, अग्नि पथ अखिल भारतीय कला प्रतियोगिता , नई दिल्ली द्वारा
  7. 2004: स्वर्ण पदक, 14वीं वार्षिक अखिल भारतीय  भारतीय कला प्रदर्शनी, कलंकन प्रयास, झारखंड द्वारा
  8. 2003: प्रथम पुरस्कार, ताल महोत्सव, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश द्वारा
  9. 2003-2001: कला गुरु श्री लक्ष्मण मुकुल भांड सम्मान स्वराज भवन भोपाल द्वारा एवं इकबाल पुरस्कार साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश द्वारा

संदर्भ स्रोत – स्व संप्रेषित

© मीडियाटिक

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