छाया: बीबीसी डॉट कॉम
अपने पिता को क्रिकेट खेलते देख क्रिकेटर बनने की जिद और जुनून के चलते आज मप्र की होनहार क्रिकेटर सौम्या तिवारी भारतीय महिला अंडर-19 क्रिकेट टीम की उपकप्तान हैं। सौम्या शुरुआत में घर में ही मोगरी से क्रिकेट खेलती थी। बाद में अपनी बहन और बच्चों के साथ मोहल्ले के मैदान में ही खेलना शुरू किया। भोपाल के अरेरा क्रिकेट अकादमी अरेरा क्रिकेट क्लब में कोच से मिले प्रशिक्षण और अपनी मेहनत से कम समय में ही सौम्या ने आज वो मुकाम हासिल कर लिया है, जहाँ पहुंचना हर क्रिकेटर का सपना होता है।
सौम्या के पिता मनीष तिवारी कलेक्टर दफ़्तर की निर्वाचन शाखा में सुपरवाइज़र हैं। वो ख़ुद भी क्रिकेट खेलते थे, लेकिन एक हादसे के बाद उनका पेशेवर क्रिकेट खेलने का सपना टूट गया। उनका यह सपना उनकी बेटी के जरिये पूरा हो गया है।
16 वर्षीय सौम्या पिछले पांच सालों से भोपाल और मध्य प्रदेश के लिए लगातार खेल रही हैं। उसके प्रदर्शन पर इस वर्ष नेशनल कोचिंग सेंटर (एनसीए) की नजर पड़ी और वहां से सौम्या का करियर ट्रैक पर आ गया। एनसीए के विभिन्न टूर्नामेंट में सौम्या ने अपने खेल से सभी को इतना प्रभावित कि श्रीलंका और वेस्टइंडीज के अलावा भारत ए और भारत बी के बीच खेले गए चतुष्कोणीय श्रृंखला में उन्हें भारत ‘ए’ का उपकप्तान बनाया गया। सौम्या भोपाल की पहली महिला क्रिकेटर हैं, जिन्होंने टीम इंडिया की नीली जर्सी पहनी है। भोपाल की अरेरा अकादमी से इंडिया टीम तक का सफ़र उन्होंने महज़ छह साल में ही पूरा कर लिया।
सौम्या ने जब छह साल पहले लड़कों के साथ क्रिकेट खेलना शुरू किया था, उस समय प्रतिस्पर्धा करने के लिए वहां कोई लड़कियां नहीं थीं। महज 6 साल के प्रशिक्षण में सौम्या ऑलराउंडर बन गई हैं। वो ताबड़तोड़ बल्लेबाजी के साथ ऑफ स्पिन गेंदबाजी भी करती है। सौम्या की इस कामयाबी में उनके कोच का अहम किरदार है। उनके कोच सुरेश चेनानी बताते हैं कि सौम्या की बड़ी बहन जब उसे अकादमी लेकर आईं थीं तो मैंने उन्हें कोचिंग देने से मना कर दिया था। इसका कारण पूर्व में प्रशिक्षण के बाद भी लड़कियों का इंडिया कैंप में चयन नही होना था, लेकिन सौम्या ज़िद पर अड़ गई और बराबर अकादमी आती रही। आखिरकार उन्हें जूनियर ग्रुप में उसे रखना ही पड़ा। थोड़े दिनों बाद इसी मैदान पर अंडर-14 इंटर एकेडमी लड़कों का टूर्नामेंट होने वाला था। सौम्या ने इस मैच में उसे शामिल करने की बात कही लेकिन कोच ने यह कहते हुए मना कर दिया कि ये प्रैक्टिस नहीं, टूर्नामेंट का मैच है और तुम अभी सीख ही रही हो तो ऐसा नहीं हो सकेगा, लेकिन उसके बार-बार आग्रह करने पर उसे इस मैच में फ़ील्डिंग करने की परमिशन दे दी। उसने उस मैच में लड़कों से कहीं ज़्यादा अच्छी फील्डिंग की। इसके बाद कोच चेनानी ने इसे ऑफ़ स्पिनर के तौर पर तैयार किया और कुछ दिन बाद ही उसका डिवीजन में चयन हो गया। स्कूल नेशनल के लिए भी उसका चयन हुआ जिसे खेलने वो खंडवा गई। उसी वक़्त भोपाल के एमवीएम कॉलेज में लड़कों के अंडर-14 टूर्नामेंट में सौम्या ने 6 ओवर में मात्र 18 रन देकर 6 विकेट लेकर सभी को आश्चर्य में डाल दिया। उस समय उसकी उम्र महज़ 12 साल थी। सौम्या के इस प्रदर्शन के बाद कोच ने उसकी बैटिंग पर भी ध्यान दिया। एक साल बाद ऑल सेंट्स कॉलेज में अंडर 14 टूर्नामेंट के पहले मैच में ही सौम्या ने सीहोर के खिलाफ 100 रनों की पारी खेली।
उनके कोच चेनानी बताते हैं, सौम्या जब 14-15 साल की थी, तभी मध्य प्रदेश की अंडर-19 टीम में चयन हो गया और फिर अंडर-23 में आ गई। पिछले 2 साल से अंडर-19 में इतना अच्छा कर रही थी कि अपनी टीम को पिछले साल जयपुर में रनर-अप बनाया। चैलेंजर ट्रॉफ़ी में मौका मिला तो पहले मैच में ही नाबाद 105 रन बना दिया। न्यूज़ीलैंड के साथ 5 मैचों की श्रृंखला में भी उसने ढेर सारे रन बटोरे। सौम्या ने वर्ष 2022 में चार देशों की महिला अंडर-19 टी-20 सीरीज में 102 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए। इस श्रृंखला में श्रीलंका, वेस्टइंडीज, टीम इंडिया 'ए' और टीम इंडिया 'बी' शामिल थी।
ईदगाह हिल्स स्थित सेंट जोसेफ कॉन्वेंट में 12वीं की छात्रा सौम्या के पसंदीदा क्रिकेटर विराट कोहली हैं, वो कोहली की तरह 18 नंबर की जर्सी पहनती हैं और उन्हीं की तरह बल्लेबाजी करने की कोशिश करती हैं। वह पहली महिला क्रिकेटर हैं, जिन्हें बीसीसीआई लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड देगा।
सौम्या के कोच सुरेश चेनानी कहते हैं कि पहले दिन से ही सौम्या ने साबित कर दिया था कि वह देश के लिए खेलेंगी। अभी वह अंडर 19 में खेल रही है, जल्दी ही सीनियर टीम में भी वह खेलेगी।
संदर्भ स्रोत - बीबीसी डॉट कॉम और नवभारत टाइम्स
संपादन - मीडियाटिक डेस्क
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