मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि पत्नी का समय पर खाना न बनाना, पति को घर का काम करने के लिए मजबूर करना और खरीदारी के लिए अन्य व्यक्तियों के साथ बाजार जाना आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध नहीं बनता है।
अपने पति को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए पत्नी के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत आरोप तय करने के उमरिया के सत्र न्यायाधीश के आदेश को रद्द करते हुए, जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की पीठ ने कहा, “आत्महत्या के लिए उकसाने के मामलों में, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कृत्यों या आत्महत्या के लिए उकसाने का सबूत होना चाहिए। कृत्यों में मानव व्यवहार और प्रतिक्रियाओं के बहुआयामी और जटिल गुण शामिल होते हैं। न्यायालय को आत्महत्या के लिए उकसाने के कृत्यों के ठोस सबूत की तलाश करनी चाहिए।" अदालत निशा साकेत (आवेदक) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसके खिलाफ अपने पति को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप तय किया गया था।
आवेदक-पत्नी के खिलाफ सके ससुराल वालों ने यह आरोप लगाया गया कि उसने अपने ससुराल वालों के साथ अच्छे संबंध बनाकर नहीं रखे और अपने पति की पर्याप्त देखभाल करने में विफल रही। वह अपने पति के लिए समय पर खाना नहीं बनाती थी, जिसके कारण कभी-कभी उन्हें बिना खाए ही ड्यूटी पर जाना पड़ता था। इसके अलावा, उस पर यह भी आरोप लगाया गया कि वह अपने पति की आपत्ति के बावजूद अपने बच्चे को पड़ोसियों के पास छोड़कर खरीदारी के लिए बाजार गई, जिसके कारण उनके बीच झगड़े हुए। इसके अलावा, यह आरोप लगाया गया कि जब वह घर पर मौजूद थी, तब भी उसके पति को पोछा लगाना, सफाई करना और कपड़े धोना जैसे घरेलू काम करने पड़ते थे। उन पर अपने पति को बताए बिना अक्सर अपने माता-पिता के घर जाने और उनकी आपत्तियों के बावजूद क्राइम पेट्रोल जैसे टीवी शो देखने का भी आरोप लगाया गया, जिससे उनके बीच विवाद बढ़ गया। उन पर यह दावा करते हुए कई अन्य आरोप भी लगाए गए कि उनके पति (मृतक) ने उनके उकसावे के कारण आत्महत्या कर ली।
आईपीसी की धारा 306 के तहत आरोप तय करने को चुनौती देते हुए, आवेदक ने हाईकोर्ट का रुख किया, जहां उसके वकील ने कहा कि भले ही सभी आरोप स्वीकार कर लिए जाएं, फिर भी धारा 306 के तहत कोई अपराध नहीं बनेगा। आवेदक-पत्नी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने कहा कि ऐसे आरोप मामूली हैं और आम तौर पर हर घर में होते हैं। कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता के वकील भी यह नहीं बता सके कि अगर आवेदक के खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को सच माना जाता है, तो आईपीसी की धारा 306 के तहत अपराध कैसे बनाया जाएगा। इसके अलावा, अदालत ने कहा कि भले ही सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया जाए, फिर भी यह नहीं माना जा सकता कि आवेदक की ओर से कोई उकसावा था।
संदर्भ स्रोत : लाइव लॉ
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