इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि शादी का वादा कर यौन उत्पीड़न करना एक निंदनीय कृत्य है। कोर्ट ने कहा इसे बाद में दिए गए शादी के प्रस्ताव से नहीं बदला जा सकता है। कानून ऐसे मामलों में समझौते से अपराध खत्म करने की अनुमति नहीं देता है।
न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज़ करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्य से पीड़िता को भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक तौर पर नुकसान पहुंचा है और मानवता पर उसके विश्वास को गंभीर नुकसान पहुंचता है। अदालत का मत है कि याची के कृत्य को बाद में उसके द्वारा दिए शादी के प्रस्ताव से बदला नहीं जा सकता है।
याची पर आरोप है कि उसने पीड़िता से सगाई करने के बाद शारीरिक संबंध बनाया और सात माह बाद शादी करने से मुकर गया। पीड़िता ने उसके खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज़ कराया। याची के वकील का कहना था कि शारीरिक सम्बन्ध पीड़िता ने अपनी सहमति से बनाए थे और याची अब पीड़िता से शादी करने को तैयार है। सरकारी वकील ने इसका विरोध किया। कहा आरोप गंभीर है। पीड़िता ने पुलिस और मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान में आरोपों की पुष्टि की है। याची का अपराधिक इतिहास है उस पर गैंगस्टर एक्ट में भी कार्यवाही हुई है।
कोर्ट ने ज़मानत अर्जी खारिज़ करते हुए कहा कि याची ने पीड़िता का न सिर्फ शारीरिक उत्पीड़न किया है बल्कि भावनात्मक रूप से भी उत्पीड़न किया है। इस मामले में समझौते की अनुमति नहीं दी जा सकती।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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