छग हाईकोर्ट : गैर मर्द से संबंध बनाना मानसिक क्रूरता

blog-img

छग हाईकोर्ट : गैर मर्द से संबंध बनाना मानसिक क्रूरता

बिलासपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने पति पत्नी के संबंधों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने माना कि पति के रहते हुए गैर मर्द के साथ शारीरिक संबंध रखना पति के लिए किसी मानसिक क्रूरता से कम नहीं है। इसे आधार मानते हुए हाईकोर्ट ने पति को पत्नी से अलग होने की आजादी देते हुए तलाक की अर्जी को स्वीकार कर लिया।

क्या है मामला ?

रायगढ़ जिले के रहने वाले अपीलकर्ता की शादी 1 मई 2007 को हिंदू रीति रिवाज से हुई थी। विवाह के बाद तीन संतानें हुईं। पति एक दिन काम से कहीं बाहर गया था। इसी बीच वापस लौटने पर उसने देखा कि उसकी पत्नी गैर मर्द के साथ आपत्तिजनक हालत में थी। इस पर पति ने शोर मचाया, जिससे परिवार के लोग भी वहां पहुंचे और पत्नी के साथ रंगरेलिया मनाने वाले शख्स को पुलिस के हवाले किया। इसके बाद पुलिस ने शांति से रहने की समझाइश देकर दोनों पक्षों को भेज दिया। 2017 में पत्नी बच्चों को लेकर अपने आशिक के साथ रहने चले गई। पति जब उसे लेने गया,तो उसने साथ चलने से इनकार कर दिया। इस पर पति ने कुटुंब न्यायालय में तलाक की अर्जी दी, लेकिन अर्जी खारिज हो गई। जिसके बाद पति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

हाईकोर्ट ने पति को दी बड़ी राहत

अपील में जस्टिस गौतम भादुड़ी एवं जस्टिस राधा किशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। डबल बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपने आदेश में कहा की पत्नी ने वह व्यभीचारीकृत किया है, जो क्रूरता के समान है। वैवाहिक बंधन में गंभीरता की आवश्यकता होती है। विवाह में मानवीय भावना भी शामिल होती है और भावना यदि सूख जाए तो शायद ही जीवन में आने की कोई संभावना बचती है। दोनों वर्ष 2017 से अलग-अलग रह रहे थे। विवाह विघटित हो चुका है। इसे किसी भी परिस्थिति में पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता। विवाह तलाक का आधार नहीं है लेकिन पत्नी का ये काम पति के लिए मानसिक क्रूरता है। इस कारण से यह तलाक की डिग्री पाने का हकदार है। हाई कोर्ट ने पति की अपील को स्वीकार कर लिया है।

आपको बता दें कि इस केस में पत्नी ने स्वीकार किया था कि जिस व्यक्ति के साथ वो रह रही है वो उसका कॉलेज के जमाने से ब्वॉयफ्रेंड है। दोनों की जातियां अलग होने के कारण शादी नहीं हो सकी थी, लेकिन शादी के बाद भी उसका लगाव कम नहीं हुआ इसलिए वो अपने पति नहीं, बल्कि ब्वॉयफ्रेंड के साथ रहना चाहती है।

संदर्भ स्रोत : ईटीवी

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



गुजरात हाईकोर्ट : दहेज के आरोप अक्सर
अदालती फैसले

गुजरात हाईकोर्ट : दहेज के आरोप अक्सर , दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल होते हैं

कोर्ट ने कहा - यह एक गंभीर मुद्दा है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।

दिल्ली हाईकोर्ट : मातृ देखभाल से क्यों  वंचित हो तीसरा बच्चा
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : मातृ देखभाल से क्यों वंचित हो तीसरा बच्चा

तीसरी बार मां बनी महिला को मातृत्व अवकाश नहीं देने पर हाईकोर्ट सख्त

हिमाचल हाईकोर्ट: तलाकशुदा पत्नी को केवल व्यभिचार के आधार पर
अदालती फैसले

हिमाचल हाईकोर्ट: तलाकशुदा पत्नी को केवल व्यभिचार के आधार पर , भरण-पोषण पाने से वंचित नहीं किया जा सकता

धारा 125(4) उन पत्नियों पर लागू होती है, जो अभी भी अपने पतियों से विवाहित हैं और उन पत्नियों पर लागू नहीं होती, जिन्होंन...

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : झूठे तथ्यों के सहारे दर्ज
अदालती फैसले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : झूठे तथ्यों के सहारे दर्ज , करवाई गई एफआईआर कानून का दुरुपयोग

सास-ससुर के खिलाफ झूठा केस दर्ज करवाने वाली बहू को हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए जारी किए जुर्माना देने के आदेश

केरल हाईकोर्ट : लिव-इन पार्टनर पर नहीं
अदालती फैसले

केरल हाईकोर्ट : लिव-इन पार्टनर पर नहीं , चलाया जा सकता क्रूरता का मुकदमा

'आईपीसी की धारा 498ए के तहत दंडनीय अपराध के लिए सबसे आवश्यक बात यह है कि महिला के पति या पति के रिश्तेदारों द्वारा क्रूर...

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट-सहमति से अलग होने की मांग खारिज
अदालती फैसले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट-सहमति से अलग होने की मांग खारिज , होने के बाद क्रूरता के आरोप लगा नहीं मांग सकते तलाक

हाईकोर्ट ने कहा - तलाक याचिका खारिज होने के बाद धारा 10 के तहत न्यायिक अलगाव के लिए याचिका दायर करना कानून की प्रक्रिया...