जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति में उसकी मां को भी पत्नी और पुत्र के बराबर हिस्सा मिलने का हक है। यह आदेश न्यायाधीश गणेश राम मीणा ने हेमलता शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। मामला उनके मृत बेटे आनंद दाधीच की 1।07 करोड़ रुपये की बीमा पॉलिसी से संबंधित था। इस फैसले ने न केवल मां के संपत्ति में अधिकार को मजबूत किया है बल्कि नॉमिनेशन और स्वामित्व के बीच अंतर को भी स्पष्ट किया है।
हेमलता शर्मा ने अपनी याचिका में दावा किया था कि सेशन कोर्ट ने केवल उन संपत्तियों में हिस्सा देने की बात कही थी, जिनमें नॉमिनी घोषित नहीं था। उन्होंने हाईकोर्ट से मांग की कि उनके बेटे की कुल संपत्ति में से एक-तिहाई हिस्सा यानी लगभग 35।92 लाख रुपये, उन्हें प्रदान किया जाए। हाईकोर्ट ने भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 की धारा 8 और 10 का हवाला देते हुए कहा कि मृतक की संपत्ति में मां, पत्नी और पुत्र का समान हिस्सा होता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नॉमिनी का मतलब केवल संपत्ति का प्रबंधन करना है, न कि उसका स्वामित्व हासिल करना।
ये था मामला
यह मामला तब सामने आया जब आनंद दाधीच की मृत्यु के बाद उनकी बीमा पॉलिसी की राशि 1।07 करोड़ रुपये का बंटवारा विवाद का विषय बन गया। हेमलता शर्मा ने दावा किया कि उनके बेटे ने कोई वसीयत नहीं छोड़ी थी और बीमा कंपनी ने नॉमिनी को पूरी राशि देने का निर्णय लिया था। हालांकि, हाईकोर्ट ने यह स्थापित किया कि नॉमिनी केवल ट्रस्टी की तरह काम करता है और संपत्ति का कानूनी उत्तराधिकारी नहीं बन सकता। कोर्ट ने बीमा कंपनियों को आदेश दिया कि वे इस फैसले की पालना सुनिश्चित करें और संपत्ति का बंटवारा कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच समान रूप से करे।
न्यायाधीश गणेश राम मीणा ने अपने फैसले में कहा, “भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के तहत, मृतक की संपत्ति में मां का हक उतना ही है जितना पत्नी और पुत्र का। नॉमिनेशन का उद्देश्य केवल प्रशासनिक सुविधा है, न कि स्वामित्व का निर्धारण।”
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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