जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के नारी निकेतनों की स्थिति और सरकार की उदासीनता पर कड़ी नाराज़गी जताई है। मुख्य न्यायाधीश के.आर. श्रीराम और न्यायाधीश संदीप तनेजा की खंडपीठ ने कहा कि संवेदनशील मामलों में लापरवाही अस्वीकार्य है। स्वप्रेरणा से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अधिवक्ता एस.एस. लादरेचा ने बताया कि उन्हें केस की ब्रीफिंग सिर्फ उसी सुबह दी गई थी, ऐसे में तैयारी संभव नहीं थी। कोर्ट ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए टिप्पणी की कि इस तरह की कार्यप्रणाली न्यायालय की मदद नहीं कर सकती।
न्यायमित्र अधिवक्ता प्रियंका बोराना और अधिवक्ता अनीता राजपुरोहित ने कोर्ट को नारी निकेतनों की वास्तविक स्थिति और समस्याओं से अवगत कराया। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि नारी निकेतनों में रिक्त पदों और उनकी कार्यप्रणाली के लिए बनाए गए वेब पोर्टल की स्थिति पर विस्तृत शपथपत्र पेश किया जाए। साथ ही सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रमुख सचिव को आदेश दिया कि भविष्य में अधिवक्ताओं को समय पर आवश्यक दिशा-निर्देश उपलब्ध कराए जाएं। अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी।
सन्दर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर
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