चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग को बच्ची गोद देने की अनुमति दे दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि बच्ची को जन्म देते वक्त पीड़िता 13 साल की थी। अब उसकी उम्र साढ़े 15 साल है। वह नाबालिग है और बच्ची को संभालने में सक्षम नहीं है। अवैध संतान को गोद लेने के लिए केवल मां की अनुमति काफी है। वह अकेली उसकी प्राकृतिक अभिभावक है। पिता की अनुमति के बिना भी वह संतान को किसी को गोद देने के लिए कानूनन सक्षम है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 13 साल की मासूम से पैदा हुए बच्चे की दत्तक ग्रहण विलेख (अडॉप्शन डीड) बिना पिता की अनुमति के पंजीकृत करने का निर्देश जारी करते हुए यह आदेश दिया है।
याचिका दाखिल करते हुए नाबालिग व उसके अभिभावकों ने हाईकोर्ट को बताया था कि याचिकाकर्ता जब 13 साल की थी तो उससे दुष्कर्म हुआ था। इस दुष्कर्म के चलते वह गर्भवती हो गई थी और इसका पता चलने तक गर्भ 33 सप्ताह का हो चुका था। हाईकोर्ट ने गर्भपात की अनुमति देने से इन्कार कर दिया था और ऐेसे में याची ने एक बेटी को जन्म दिया। इस मामले में बच्ची का जैविकपिता दुष्कर्म का दोषी करार दिया जा चुका है और 20 साल की सजा काट रहा है।
याची के मोहाली निवासी करीबी रिश्तेदार उसकी बच्ची को गोद लेना चाहते थे। ऐसे में अडॉप्शन डीड तैयार कर सात जून, 2021 को चंडीगढ़ के सब रजिस्ट्रार को सौंपी गई थी लेकिन 19 अक्टूबर को यह कहते हुए इससे इन्कार कर दिया गया कि इसमें जैविक पिता की अनुमति शामिल नहीं है। याची ने बताया कि जो परिवार बच्ची गोद लेना चाहता है, उनके परिवार में आनुवंशिक बीमारी है जिसके कारण उनके दो बच्चे पहले ही मारे जा चुके हैं।
पीड़िता बच्ची को संभालने में सक्षम नहीं
हाईकोर्ट ने इस मामले में सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद कहा कि इस मामले में बच्ची को जन्म देते हुए पीड़िता 13 साल की थी और अभी उसकी उम्र साढ़े 15 साल है। वह खुद भी नाबालिग है और ऐसे में बच्ची को संभालने में सक्षम नहीं है। वैसे भी दुष्कर्म से पैदा हुई अवैध संतान की मां प्राकृतिक अभिभावक है। ऐसे बच्ची से पिता का कोई जुड़ाव नहीं दिखाई दिया न ही उसने बच्ची को अपनाने में कोई रुचि दिखाई। वैसे भी ऐसे मामले में पहले मां प्राकृतिक अभिभावक है, पिता का दावा मां के बाद ही आता है।
संदर्भ स्रोत: अमर उजाला
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