पटना हाईकोर्ट में तलाक का एक ऐसा केस आया, जिससे वहां मौजूद लोग हैरान रह गए। कोर्ट ने कहा कि असफल शादी में पति द्वारा पत्नी को भूत और पिशाच कहना और गाली देना क्रूरता नहीं है। न्यायधीश बिबेक चौधरी की एकल पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि गंदी भाषा का इस्तेमाल भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए (पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा पत्नी के प्रति) के तहत ‘क्रूरता’ नहीं है। पीठ झारखंड के बोकारो निवासी सहदेव गुप्ता और उनके बेटे नरेश कुमार गुप्ता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
पटना कोर्ट, 1994 में नरेश गुप्ता नाम के शख्स के खिलाफ द्वारा उसकी तलाकशुदा पत्नी ने अपने गांव नावादा में केस फाइल किया था। साल 2008 में नरेश और उसके पिता को 1 साल का कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसे कोर्ट ने 10 साल बाद खारिज कर दिया गया था।
शिकायतकर्ता पत्नी ने नवादा जिले में पति और ससुर पर दहेज में कार की मांग को लेकर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने की शिकायत की थी, हालांकि पिता-पुत्र के अनुरोध पर मामले को नवादा से नालंदा स्थानांतरित कर दिया गया। वहां पर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने दोनों को एक साल की कैद की सजा सुनाई। बाद में झारखंड हाईकोर्ट ने पति-पत्नी को तलाक की मंजूरी दे दी थी।
पटना हाईकोर्ट ने क्या कहा?
पटना हाईकोर्ट के समक्ष दायर याचिका का विरोध करते हुए, तलाकशुदा महिला के वकील ने दलील दी कि उसके ससुराल वाले उसे भूत और पिशाच कहते थे। वकील ने कहा कि यह बात मेरे मुवक्किल पर अत्यधिक क्रूरता था, हालांकि अदालत ने कहा कि किसी को भूत और पिचास बुलाना किसी भी प्रकार से क्रूरता नहीं है। यह धारा 498ए के तहत क्रूरता है।
शादी में यह आम बात है
कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक संबंधों में, खासकर से असफल वैवाहिक संबंधों में, ‘पति और पत्नी दोनों द्वारा गंदी भाषा के साथ एक-दूसरे को गाली देना आम बात है।’ ऐसे सभी आरोप क्रूरता के दायरे में नहीं आते हैं। हाईकोर्ट निचली अदालतों द्वारा पारित निर्णयों को रद्द कर दिया।
अदालत ने यह भी कहा कि लड़की का परिवार या साबित नहीं कर पाया कि उनसे मारुति की मांग और मारपीट की गई थी। कोर्ट ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया और आईपीसी की धारा 498ए और दहेज़ निषेध अधिनियम 1961 की धारा 4 के तहत पति की सजा को रद्द कर दिया।
सन्दर्भ स्रोत : न्यूज़ 18
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