चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि पत्नी और बच्चों की बुनियादी वित्तीय जरूरतें पूरी न करना पति की क्रूरता है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी जालंधर की फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली पति की याचिका को खारिज करते हुए की है। याचिका दाखिल करते हुए पति ने आरोप लगाया था कि पत्नी अपने बच्चे के साथ वैवाहिक घर छोड़कर चली गई है, जो क्रूरता है। यह भी कहा गया कि याची को किसी दूर के रिश्तेदार के माध्यम से पता चला कि पत्नी विदेश चली गई है और उसके माता-पिता ने उसका पता बताने से इन्कार कर दिया। फैमिली कोर्ट ने पाया था कि यह याची ही था जिसने पत्नी और बच्चे का भरण-पोषण नहीं किया और उन्हें असहाय छोड़ दिया।
फैमिली कोर्ट के समक्ष तलाक याचिका में पत्नी की ओर से कोई पेश नहीं हुआ, लेकिन अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अपने वैवाहिक दायित्वों को निभाने में विफल रहने के बाद, अपीलकर्ता-पति को तलाक की अनुमति नहीं दी जा सकती। ऐसे में फैमिली कोर्ट ने तलाक के लिए दाखिल पति की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट में पत्नी ने दलील दी कि पति इटली में रहता था और शादी के बाद याची ने उसे भी वहां ले जाने का वादा किया था। 2009 में उसने बच्चे को जन्म दिया और याची 2011 में भारत आया और फिर से उसे इटली ले जाने का वादा दोहराया लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी और बच्चों की बुनियादी वित्तीय जिम्मेदारियों को पूरा करना पति का दायित्व होता है और यदि वह इसमें विफल रहता है तो यह परिवार के प्रति उसकी क्रूरता है। ऐसे में इस प्रकार के आचरण वाला पति तलाक का हकदार नहीं है। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने पति की अपील खारिज कर दी।
संदर्भ स्रोत : अमर उजाला
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