मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि किसी मृत सरकारी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली ग्रैच्युटी (DCRG) की राशि उसकी विधवा और मां के बीच समान रूप से बांटी जानी चाहिए। न्यायमूर्ति शमीम अहमद की पीठ ने आदेश दिया कि कुल शेष DCRG राशि ₹15,25,277 में से ₹7,00,000 मृत कर्मचारी की मां सी. कलैयारासी को और ₹8,15,277 उनकी विधवा पी. तमिलसेल्वी को प्रदान किए जाएं।
क्या था मामला
यह याचिका पी. तमिलसेल्वी द्वारा दायर की गई थी, जो स्वर्गीय मुरुगेशन की पत्नी हैं। मुरुगेशन सरकारी कर्मचारी थे और उनकी मृत्यु के बाद तमिलसेल्वी ने उनके सेवानिवृत्त लाभों की मांग की थी। लेकिन उनकी सास. सी. कलैयारासी ने जिला मुंसिफ न्यायालय, तूतीकोरिन में मुकदमा दायर कर इन लाभों में हिस्सा मांगा था।
मूल सवाल यह था कि क्या मृत सरकारी कर्मचारी की मां (जो याचिकाकर्ता की सास भी हैं) को सेवानिवृत्ति लाभों—विशेषकर DCRG—में हिस्सा मिलना चाहिए? अदालत को विधवा की प्राथमिकता और मां के उत्तराधिकार के अधिकारों के बीच संतुलन बैठाना था।
कोर्ट की टिप्पणियां और निर्णय
न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद मद्रास हाईकोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि मां, एक वरिष्ठ नागरिक और कानूनी वारिस होने के नाते, सेवानिवृत्ति लाभों में अपना हिस्सा पाने की हकदार है।
कोर्ट ने यह भी माना कि कलैयारासी ने अपने बेटे की मृत्यु के बाद बहू और पोते-पोतियों की देखभाल की है और याचिकाकर्ता पहले ही कई अन्य लाभ प्राप्त कर चुकी हैं जैसे कि फैमिली बेनिफिट फंड, जीपीएफ, एसपीएफ, अर्जित छुट्टियों का नकदीकरण आदि।
यह फैसला यह सुनिश्चित करता है कि मृतक कर्मचारी के सभी वैध उत्तराधिकारियों को न्यायपूर्ण हिस्सा मिले, और पारिवारिक देखभाल तथा नैतिक जिम्मेदारी को भी कानूनी मान्यता दी जाए।
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