मप्र हाईकोर्ट : योग्य पत्नी केवल पति

blog-img

मप्र हाईकोर्ट : योग्य पत्नी केवल पति
द्वारा भरण-पोषण पर निर्भर न रहे

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने कहा कि योग्य पत्नी को निष्क्रिय नहीं रहना चाहिए और केवल पति के भरण-पोषण पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। अदालत ने एक मामले में पति की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए भरण-पोषण राशि को 40,000 रुपये प्रति माह कर दिया। पत्नी के द्वारा 60 हजार रुपए की मांग की जा रही थी। मध्य प्रदेश के इंदौर हाईकोर्ट ने एक मामले में अहम फैसला सुनाया है। एमपी हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने कहा है कि योग्य पत्नी को निष्क्रिय नहीं रहना चाहिए। साथ ही केवल अपने पति से मिलने वाले भरण-पोषण पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। मामला पोस्ट ग्रेजुएट पत्नी का पति से मेंटेनेस को लेकर जुड़ा हुआ है।

इस मामले पर न्यायमूर्ति प्रेम नारायण सिंह ने अपने आदेश में कहा कि सीआरपीसी के तहत भरण-पोषण संबंधी प्रावधान का उद्देश्य दूसरे पति की आय से भरण-पोषण मिलने का इंतजार कर रहे निष्क्रिय या निष्क्रिय लोगों की फौज तैयार करना नहीं है। वे निचली अदालत के उस आदेश के खिलाफ एक व्यक्ति और उसकी अलग रह रही पत्नी द्वारा दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। इस मामले में भरण-पोषण राशि 60,000 रुपये प्रति माह निर्धारित की गई थी।

पति की याचिका पर कोर्ट की कार्रवाई

अदालत ने पति की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया है। पत्नी को दी जाने वाली मेंटेनेंस राशि को घटाकर 40,000 रुपये प्रति माह कर दिया। कोर्ट ने आगे कहा कि इस अदालत का विचार है कि योग्य पत्नी को अपने पति से मिलने वाले भरण-पोषण की राशि के आधार पर निष्क्रिय नहीं रहना चाहिए।

अदालत ने बताया कि पत्नी के पास कॉमर्स में मास्टर डिग्री है। इसके साथ-साथ शिपिंग और ट्रेडिंग में भी डिप्लोमा है। न्यायमूर्ति सिंह ने गुजारा भत्ता बढ़ाने की उसकी याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह माना जा सकता है कि वह किसी भी काम या व्यवसाय में खुद को शामिल करके आसानी से अच्छी आय अर्जित कर सकती है।

महिला को काम करने से नहीं रोका जा सकता

न्यायाधीश ने कहा कि एक विवाहित महिला को नौकरी करने से नहीं रोका जा सकता है। साथ ही एक विवाहित महिला जो अलग रह रही है और अपने पति से गुजारा भत्ता भी प्राप्त कर रही है, उसे खुद को नौकरी करने और अपनी आजीविका के लिए कुछ आय अर्जित करने से नही रोका जा सकता है।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



राजस्थान हाईकोर्ट : जमानती अपराध में
अदालती फैसले

राजस्थान हाईकोर्ट : जमानती अपराध में , महिलाओं को 43 दिन जेल में रहना खेदजनक

अदालत ने याचिकाकर्ताओं को भी कहा है कि यदि उन्हें लगता है कि प्रकरण में उनके मौलिक अधिकारों की अवहेलना हुई है, तो वह कान...

इलाहाबाद हाईकोर्ट : हिंदू विवाह केवल
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : हिंदू विवाह केवल , रजिस्टर्ड न होने से अमान्य नहीं हो जाता

जस्टिस मनीष निगम ने अपने फैसले में कहा, 'हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत जब शादी विधिवत तरीके से होती है, तो उसका रजिस्ट्रे...

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट :  अपने पसंदीदा शादीशुदा
अदालती फैसले

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट :  अपने पसंदीदा शादीशुदा , मर्द के साथ रह सकती है महिला

कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो उसे ऐसा करने से रोके।

दिल्ली हाईकोर्ट : पति की सैलरी बढ़ी
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : पति की सैलरी बढ़ी , तो पत्नी का गुजारा भत्ता भी बढ़ेगा  

महिला ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें गुजारा भत्ता बढ़ाने की उसकी अपील को खारिज कर दिया गया था।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : पत्नी के जीवित रहने
अदालती फैसले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : पत्नी के जीवित रहने , तक भरण-पोषण करने के लिए बाध्य है पति

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि आर्थिक रूप से सक्षम पति को अपनी पत्नी का भरण-पोषण करना होगा जब तक वह जीवित है भले...

दिल्ली हाईकोर्ट : ग्रामीणों के सामने तलाक लेकर
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : ग्रामीणों के सामने तलाक लेकर , नहीं किया जा सकता हिंदू विवाह को भंग

कोर्ट ने CISF के एक बर्खास्त कांस्टेबल को राहत देने से इनकार कर दिया जिसने पहली शादी से तलाक लिए बिना दूसरी शादी की थी।