छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट  सास-ससुर से अलग रहना पति के साथ क्रूरता

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट  सास-ससुर से अलग रहना पति के साथ क्रूरता

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कहा है कि पति को अपने माता-पिता को अलग करने के बाद भी पत्नी का व्यवहार ठीक नहीं है तो यह मानसिक क्रूरता है। डिवीजन बेंच ने एक प्रकरण में माता-पिता से अभद्रता और 10 साल से पति को अलग करने पर तलाक के आवेदन को मंजूर कर लिया है। साथ ही फैमिली कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए पति को तलाक का हकदार माना है। 

बुजुर्ग माता-पिता के साथ अभद्र व्यवहार

दरअसल, कबीरधाम में रहने वाले व्यक्ति की शादी फरवरी 2002 में वहीं की महिला के साथ हुई थी। शादी के बाद उनकी दो बेटियां हुईं। पति का आरोप है कि पत्नी छोटी- छोटी बातों को लेकर विवाद करती थी। साथ ही बुजुर्ग माता-पिता के साथ अभद्र व्यवहार भी करती थी। वह अपनी मर्जी मनवाने के लिए नाराज होकर पति से दुर्व्यवहार करती थी।

इसके बाद में उसने सास- ससुर से अलग रहने के लिए दबाव बनाया। पत्नी के पिता ने सलाह दी कि वे उनके एक मकान में रह सकते हैं। इसके बाद सामाजिक बैठक हुई, इसके बाद वे दिसंबर 2013 से पत्नी और बेटियों के साथ दूसरी जगह रहने लगे। अलग जगह रहने के बाद भी पत्नी का व्यवहार नहीं बदला और वह पहले से ज्यादा मानसिक क्रूरता करने लगी।

फैमिली कोर्ट ने नहीं सुना तर्क, परिवाद किया खारिज

पत्नी की इस तरह की हरकतों से परेशान होकर पति ने फैमिली कोर्ट में विवाह विच्छेदन के लिए फैमिली कोर्ट में परिवाद लगाया। इसमें बताया कि वह दिसंबर 2013 से अपनी पत्नी से अलग रह रहा है। इस बीच उसकी पत्नी ने सरकारी नौकरी करने वाले माता-पिता व भाई के खिलाफ थाने में झूठा केस भी दर्ज करा दी थी। फिर भी वह संबंधों का ख्याल रखते हुए सब कुछ सहन करता रहा, लेकिन उसकी पत्नी अपनी बेटियों को लेकर अलग रह रही है और उनसे मिलने भी नहीं दे रही है। पति की तर्कों को सुने बगैर ही फैमिली कोर्ट ने 15 फरवरी 2016 करे पत्नी की अनुपस्थित रहने के कारण परिवाद को खारिज कर दिया। 

फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील

इसके बाद पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील की। इसमें कहा कि वह अपनी पत्नी से 10 साल से अलग रह रहा है। उनकी शादी का बंधन टूट गया है। इसे फिर से बहाल करना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 के तहत वह तलाक का हकदार है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी हवाला दिया गया। वहीं, पत्नी की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि शादी के तत्काल बाद उसके पति और ससुराल वाले दहेज की मांग के कारण मानसिक प्रताड़ना देते थे। बेटी पैदा होने पर ससुराल वालों ने उसके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। मारपीट की और उसे ससुराल से निकालने का प्रयास किया गया।

जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पति की अपील को मंजूर कर लिया है। साथ ही फैमिली कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए पति को तलाक पाने का हकदार माना है।

संदर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर

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