अगर आप किसी महिला के शरीर को देखकर ‘फाइन’ कहते हैं तो जरा होश में आ जाएं। अब किसी महिली के शरीर की बनावट को देखकर फाइन यानी ठीक कहना यौन उत्पीड़न माना जाएगा। जी हां, केरल हाईकोर्ट ने कहा कि किसी महिला के शरीर की बनावट पर ‘फाइन’ कहकर टिप्पणी करना पहली नजर में यौन उत्पीड़न माना जाएगा। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने एक याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर को भी रद्द करने से इनकार कर दिया।
केरल हाईकोर्ट के जस्टिस ए. बदरुद्दीन ने याचिकाकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 354ए (1) (iv), 509 और केरल पुलिस अधिनियम, 2011 (अधिनियम) की धारा 120 सहित अपराधों के लिए शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया। धारा 354ए में यौन संबंधी अभद्र टिप्पणी को यौन उत्पीड़न माना गया है, वहीं धारा 509 में महिला की लज्जा का अपमान करने के इरादे से किए गए कृत्यों का जिक्र है। केरल पुलिस अधिनियम की धारा 120 में उपद्रव फैलाने और सार्वजनिक व्यवस्था के उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान है।
क्या है मामला
खबर के मुताबिक, महिला ने कहा कि जब वह केरल राज्य बिजली बोर्ड लिमिटेड के इलेक्ट्रिकल सेक्शन में काम कर रही थी, तब आरोपी ने उसकी बॉडी को देखकर फाइन कहा था। उसकी यह टिप्पणी यौन कुंठा से भरी थी। उसने परेशान किया था। महिला ने यह भी आरोप लगाया गया कि आरोपी ने उसके मोबाइल नंबर पर यौन इशारों वाले मैसेज भेजे थे।
आरोपी ने क्या तर्क देकर किया विरोध
हालांकि, आरोपी ने इसका विरोध किया। उसका तर्क था कि किसी व्यक्ति के शरीर की संरचना की तारीफ करना यौन उत्पीड़न वाली टिप्पणी नहीं है। आईपीसी की धारा 354ए (1) (iv) या 509 या केरल पुलिस अधिनियम के प्रावधानों के तहत इसे अपराध नहीं माना जा सकता है। इसके बाद हाईकोर्ट ने पहले इन अपराधों पर विस्तार से चर्चा की। फिर धारा 509 का जिक्र करते हुए अदालत ने अपने पिछले फैसले XXXX बनाम केरल राज्य, (2024) का हवाला दिया। इस मामले में अदालत ने धारा 509 के तहत आने वाले अपराधों पर चर्चा की थी।
अदालत इस नतीजे पर पहुंची
‘अगर कोई किसी महिला का अपमान करने या उसकी निजता में दखल देने के इरादे से कुछ भी कहता है, आवाज निकालता है, इशारा करता है या कोई चीज दिखाता है तो वह आईपीसी की धारा 509 के तहत अपराध होगा। अभियोजन पक्ष के आरोपों को देखते हुए आईपीसी की धारा 509 के तहत अपराध के पहलू प्रथम दृष्टया बनते हैं।’
अदालत ने खारिज की दलील
धारा 354A को लेकर अदालत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किसी भी महिला पर यौन रंगीन टिप्पणी करने वाला पुरुष यौन उत्पीड़न के अपराध का दोषी है। इस पर अदालत ने याचिकाकर्ता की दलील को खारिज करते हुए कहा, ‘मामले के तथ्यों को देखने के बाद यह स्पष्ट है कि अभियोजन पक्ष का मामला पहली नज़र में कथित अपराधों को आकर्षित करने के लिए बनाया गया है।’
कोर्ट ने क्यों माना अपराध?
इतना ही नहीं, कोर्ट ने धारा 120 के संबंध में यह भी कहा कि बार-बार या अवांछित या गुमनाम कॉल, पत्र, लेखन, संदेश, ई-मेल या किसी के माध्यम से संचार के किसी भी माध्यम से असुविधा या झुंझलाहट पैदा करने का कोई भी कार्य इस अधिनियम के तहत अपराध होगा। सभी बातों पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह धारा वर्तमान मामले के तथ्यों पर पूरी तरह से लागू होगी।
संदर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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