हाईकोर्ट: परिवार की परिभाषा में बहन शामिल नहीं, भाई की

blog-img

हाईकोर्ट: परिवार की परिभाषा में बहन शामिल नहीं, भाई की
जगह बहन को नहीं मिल सकती अनुकंपा नियुक्ति

 

छाया: एबीपी लाइव

कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने हालिया फैसले में कहा है कि भाई की मौत हो जाने पर उसकी बहन को अनुकंपा के आधार पर नौकरी नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने साफ कर दिया कि बहन शादीशुदा भाई के परिवार का हिस्सा नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने महिला के उस दावे को खारिज कर दिया, जिसमें उसने भाई की मौत पर अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी। हाईकोर्ट ने कर्नाटक सिविल सेवा (अनुकंपा आधार पर नियुक्ति) नियम, 1999 के आधार पर यह फैसला सुनाया।

कोर्ट ने नियम 2 (1) (बी) का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके अनुसार, मृत पुरुष सरकारी कर्मचारी के मामले में उसकी विधवा, बेटा या बेटी जो उस पर आश्रित हैं और उसके साथ रह रहे हैं, उन्हें उसके परिवार का सदस्य माना जाता है।

महिला की याचिका खारिज करते हुए चीफ जस्टिस प्रसन्ना वी वराले और जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की खंडपीठ ने कहा, अपीलकर्ता को एक बहन होने के नाते परिवार का सदस्य नहीं माना जा सकता। इन नियमों का पालन कर्नाटक पॉवर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (केपीटीसीएळ) और बेंगलौर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी (बेसकॉम) करती हैं, जो सरकारी कंपनियां हैं।

क्या है मामला?

कर्नाटक के तुमकुरु जिले की रहने वाली जीएम पल्लवी ने 28 फरवरी 2019 को जनता दर्शन के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री को एक आवेदन दिया था, जिसमें उन्होंने अपने भाई के स्थान पर अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी। उनके भाई शशिकुमार जूनियर लाइनमैन थे। 4 नवम्बर 2016 को सेवा के दौरान उनकी मौत हो गई थी। 

पिल्लई के आवेदन को बेसकॉम के पास भेजा गया था, जिसे कंपनी ने अस्वीकार करते हुए 13 नवम्बर 2019 को पत्र जारी किया। पल्लवी ने इसे आदेश को चुनौती दी, जिसे सिंगल बेंच ने ये कहते हुए खारिज कर दिया था कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए बहन को परिवार का सदस्य मानने का प्रावधान नहीं है। साथ ही सिंगल बेंच ने इस बात को भी नोट किया कि अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के संदर्भ में यह भी नहीं दिखाया कि वह भाई पर आश्रित थी।

सन्दर्भ स्रोत: एबीपी लाइव

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



इलाहाबाद हाईकोर्ट :  लिवइन रिलेशनशिप
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : लिवइन रिलेशनशिप , भारतीय मध्यवर्गीय मूल्यों के खिलाफ

हाईकोर्ट ने कहा-सर्वोच्च न्यायालय की ओर से वैधानिक बनाए जाने के बाद न्यायालय ऐसे मामलों से तंग आ चुका

सुप्रीम कोर्ट : वैवाहिक मामलों में मध्यस्थता के बारे में
अदालती फैसले

सुप्रीम कोर्ट : वैवाहिक मामलों में मध्यस्थता के बारे में , गलतफहमी, इसका मतलब समाधान निकालना

जैसे ही हम मध्यस्थता की बात करते हैं, पक्षकार यह मान लेते हैं कि हम उन्हें फिर से एक साथ रहने के लिए कह रहे हैं। जबकि हम...

इलाहाबाद हाईकोर्ट : पिता को प्राकृतिक
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : पिता को प्राकृतिक , अभिभावक' मानने वाला कानून पुराना

कोर्ट ने कहा, "मां ही बेटी को मासिक धर्म, स्वच्छता और अन्य निजी मुद्दों पर सही मार्गदर्शन दे सकती है। 12 साल की बेटी की...

तेलंगाना हाईकोर्ट : खुला तलाक मुस्लिम महिला
अदालती फैसले

तेलंगाना हाईकोर्ट : खुला तलाक मुस्लिम महिला , का अधिकार, पति नहीं कर सकता अस्वीकार

यह फैसला मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

बॉम्बे हाईकोर्ट : पत्नी कमाने वाली हो तब भी उसे
अदालती फैसले

बॉम्बे हाईकोर्ट : पत्नी कमाने वाली हो तब भी उसे , समान जीवन स्तर के लिए पति से भरण-पोषण का हक

जस्टिस देशपांडे ने पारित आदेश में कहा,"पत्नी को पति की आय से रखरखाव की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि उसकी खुद की आय उसके...