जयपुर महानगर प्रथम की फैमिली कोर्ट-4 ने शादी के बाद शारीरिक संबंध नहीं बनाने को मानसिक क्रूरता की श्रेणी में माना है। जज पवन कुमार ने इस आधार पर पति की तलाक अर्जी को मंजूर करते हुए विवाह विच्छेद (तलाक) करने को मंजूरी दी है।
जयपुर के रहने वाले दंपती के बीच शादी के 15 साल बाद भी शारीरिक संबंध नहीं बने थे। पति का कहना था कि शादी की पहली रात को ही पत्नी ने संबंध बनाने से मना कर दिया था। पत्नी हमेशा परिवार से अलग रहने के लिए झगड़ा करती थी। मांग नहीं मानने पर आत्महत्या करने और झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकियां देती थी। वहीं पत्नी का कहना था कि पति के दूसरी महिलाओं से संबंध थे। इसलिए पति ने कभी शारीरिक संबंध बनाने में रुचि नहीं दिखाई।
पत्नी को माना दाम्पत्य संबंध नहीं बनाने का दोषी
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि 15 साल तक शारीरिक संबंध नहीं बनने से दाम्पत्य संबंधों की पुनर्स्थापना नहीं हो सकी है। पत्नी बिना किसी कारण के पति से दो साल से अधिक समय से अलग रह रही है। इसलिए पत्नी को परित्याग का दोषी माना जाता है।
पति के अवैध संबंध साबित नहीं कर सकी पत्नी
दंपती की शादी 3 नवंबर 2003 को हुई थी। 2018 से दोनों अलग रह रहे थे। पति ने 22 जुलाई 2021 को तलाक की अर्जी पेश की। जिसके जवाब में पत्नी ने माना कि साल 2003 से 2018 के बीच पति ने उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए, क्योंकि पति का अन्य महिला से अवैध संबंध था। लेकिन, पत्नी अपने आरोप साबित नहीं कर सकी।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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