ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि जब तक पहला विवाह कानूनी रूप से समाप्त न हो जाए, तब तक दूसरी शादी को वैध नहीं माना जा सकता। यह टिप्पणी उस मामले में आई, जिसमें एक महिला ने अपने दूसरे पति की मृत्यु के बाद सरकारी नौकरी में अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी, जबकि उसका पहला विवाह कानूनी रूप से जारी था। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए महिला की याचिका खारिज कर दी। महिला ने केंद्रीय विभाग में ड्राइवर को पति बताते हुए अनुकंपा नियुक्ति मांगी थी।
तलाक के बिना दूसरी शादी गैरकानूनी
ग्वालियर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान महिला ने बताया कि वह जिस समुदाय से आती है, वहां ‘छोड़ा-छुट्टी’ प्रथा के तहत विवाह किया गया था। उसने यह भी दावा किया कि ससुराल पक्ष इस विवाह में शामिल था। साथ ही महिला ने अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए विवाह के फोटो भी कोर्ट में प्रस्तुत किए, लेकिन हाईकोर्ट ने कुटुंब न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए महिला को राहत देने से इनकार कर दिया।
ग्वालियर हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब महिला का पहला पति जीवित था और तलाक नहीं हुआ था, तलाक प्रक्रिया कुटुंब न्यायालय में लंबित थी, ऐसे में दूसरा विवाह अमान्य है। कोर्ट ने कहा कि पारंपरिक प्रथाएं कानून के स्थान पर नहीं ली जा सकतीं। कोर्ट ने कहा कि तलाक लिए बगैर दूसरी शादी की तो उसे अवैध ही माना जाएगा। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने पहले पति को तलाक दिए बगैर दूसरी शादी करने का दावा करने वाली महिला की अपील खारिज कर दिया।
दूसरी शादी का पूरा मामला
जानकारी के अनुसार ग्वालियर निवासी सुनंदा (परिवर्तित नाम) ने केंद्रीय विभाग में चालक के पद पर पदस्थ रमेश कुमार (परिवर्तित नाम) से शादी कर ली थी, लेकिन महिला ने अपने पहले पति मनफूल को तलाक नहीं दिया था। यह शादी पहले पति को तलाक दिए बिना की गई थी। इसके बाद दूसरे पति रमेश की मौत हो गई।
दूसरे पति की मौत के बाद महिला ने केंद्र सरकार के विभाग में अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी, महिला ने कुटुंब न्यायालय में वाद पेश करते हुए खुद को रमेश की पत्नी घोषित करने की मांग की। लेकिन 10 फरवरी 2024 को अदालत ने राहत देने से इनकार कर अपील खारिज कर दी।
कोर्ट ने विवाह को माना अवैध, अनुकंपा नियुक्ति की मांग खारिज
कुटुंब न्यायालय के फैसले के खिलाफ महिला ने ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत में स्पष्ट किया कि सुनंदा ने रमेश कुमार से 2 जून 2015 को शादी की थी, जबकि पहले पति से आपसी सहमति से तलाक 3 अगस्त 2015 को हुआ। इसका मतलब यह हुआ कि दूसरी शादी तलाक से पहले की गई थी, जो कि कानूनन अमान्य है। महिला ने अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी, लेकिन शादी अवैध मानने के बाद यह भी खारिज कर दी गई।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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