छाया : न्यूज18
आज के दौर में जब अधिकतर युवा विदेश में बसने और बड़ी कंपनियों में करियर बनाने का सपना देखते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो देश की सेवा के लिए अपने आरामदायक जीवन को पीछे छोड़ देते हैं। ऐसी ही प्रेरक मिसाल हैं सरस्वती शिशु मन्दिर, खरगोन की पूर्व छात्रा गरिमा अग्रवाल जिन्होंने आईआईटी हैदराबाद से बीटेक करने के बाद जर्मनी में नौकरी पाई, पर अंततः देश सेवा को अपनाया और सिविल सर्विस का रास्ता चुना।
गरिमा उन सभी बेटियों के लिए एक उदाहरण है जिनकी आरंभिक शिक्षा हिंदी माध्यम विद्यालय से होती है फिर भी वे कठिन तकनीकी परीक्षा हो या प्रशासनिक परीक्षा सभी में सफल हो सकती हैं।
खरगोन में 28 दिसंबर 1991 में जन्मी आईएएस अधिकारी गरिमा इस वक्त राजन्ना सिरसिला, तेलंगाना के जिला कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। गरिमा अग्रवाल ने अपने अनुभवों एवं साक्षात्कारों में यह साझा किया है कि प्रशासन में भाषा, माध्यम या पृष्ठभूमि बाधा नहीं है; बल्कि दृढ निश्चय, लगन और सतत प्रयास महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने एक नहीं, दो-दो महत्वपूर्ण व कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं (यूपीएससी और ट्रिपलआईटी) उत्तीर्ण करके अपना और अपने परिवार का मान बढ़ाया है। वे व्यवसायी परिवार से ताल्लुक रखती हैं।
गरिमा शुरू से ही पढ़ाई में काफी होशियार रहीं। उन्होंने खरगोन के सरस्वती विद्या मंदिर से प्रारंभिक शिक्षा हासिल की। 10वीं बोर्ड परीक्षा में 92% और 12वीं में 89% अंक हासिल किए थे। उन्होंने ट्रिपल आईटी, हैदराबाद से बीटेक की डिग्री प्राप्त करने के बाद जर्मनी की एक कंपनी में इंटर्नशिप की, फिर नौकरी का प्रस्ताव मिला। कुछ साल तक वहां काम करने के बाद उनके भीतर एक सवाल उठा, “क्या मैं अपने देश के लिए कुछ बड़ा कर सकती हूं?” यही विचार उनके जीवन की दिशा बदल गया और वे विदेश में बसने का मोह छोड़कर संघ लोक सेवा आयोग की तैयारी करने भारत वापस आ गई। 2017 में पहले प्रयास में संपूर्ण भारत में 240 वी रैंक पाकर आईपीएस के पद पर चयनित हुई, किंतु उन्होंने 2018 में दोबारा प्रयास किया और इस बार 40 वी रैंक के साथ आईएएस के पद पर पहुंची है।
तेलंगाना सरकार द्वारा हाल ही में आदेश जारी किया गया है कि गरिमा अग्रवाल को राजन्ना सिरसिला जिले का कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति उनके समर्पित सार्वजनिक सेवा एवं प्रशासनिक अनुभव की मान्यता है। इससे पूर्व उन्होंने जिलों में प्रशिक्षु कलेक्टर, अतिरिक्त कलेक्टर (स्थानीय निकाय) जैसे पदों पर कार्य किया। राजन्ना सिरसिला जिले की कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट के पद पर आने से वे जिले के समग्र प्रशासन, विकास योजनाओं, कानून व्यवस्था तथा नागरिक कल्याण योजनाओं की देख-रेख करेंगी। उन्होंने यह साबित किया है कि पारंपरिक पृष्ठभूमि से आने वाले युवक-युवतियाँ भी उच्च प्रशासनिक पदों पर आकर समाज में बदलाव ला सकते हैं।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट



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