छाया : दैनिक भास्कर
इंदौर की राइडर दीपा दुबे (Deepa Dubey ) ने लद्दाख और स्पीति घाटी (Ladakh and Spiti Valley) में सोलो राइडिंग (Solo Rider) का अनुभव करने के बाद हाल ही में इंदौर से नेपाल के मुक्तिनाथ (Muktinath) धाम तक सोलो बाइक राइड पूरी कर मिसाल कायम की है। उन्होंने तीन हजार किमी की यह चुनौतीपूर्ण यात्रा महज 8 दिन में पूरी की। 160 सीसी की बाइक पर दीपा ने इस यात्रा में न सिर्फ भौगोलिक सीमाएं पार कीं, बल्कि आत्मविश्वास, तैयारी और अनुभव से मुश्किल रास्तों को भी आसान बना दिया।
सम्भवतः ऐसा करने वाली वे प्रदेश की पहली फीमेल सोलो राइडर (Female Solo Rider) हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह की सोलो ट्रिप्स (Solo Trips) शुरू करने से पहले बाइक की बेसिक रिपेयरिंग (Basic Repairing) खुद सीखी थी, जैसे नट कसना, ट्यूबलेस टायर का पंचर बनाना, एयर पाइप की दिक्कतें समझना और हल करना। यह सीख काम भी आई। रास्ते में एक बार बाइक स्टार्ट नहीं हो रही थी, तब तकनीकी समझ ने आगे बढ़ने में मदद की। ऐसी जानकारी से आप दूसरों की मदद भी कर सकते हैं।
लद्दाख और स्पीति वैली भी होकर आई
दीपा इससे पहले 2022 में लद्दाख और 2024 में स्पीति वैली की अकेले यात्रा कर चुकी हैं। यही अनुभव उन्हें नेपाल (nepal) की कठिन राइड में काम आया। वे बताती हैं कि पोखरा (pokhra) से मुक्तिनाथ तक का 150 किलोमीटर का सफर लगभग पूरा सड़क से हटकर है- सीमित संसाधन पतली सड़कें, उबड़-खाबड़ रास्ते और कीचड़ शामिल हैं। उन्होंने गूगल मैप्स और स्थानीय लोगों से रास्ते की जानकारी ली, साथ ही गूगल मैप्स द्वारा दिए गए रास्ते को भी क्रॉस-चेक किया। वे कहती हैं कि कई बार गूगल मैप भी गलत रास्ता बता देता है। यदि रास्ता संकरा या खराब दिखाई दे तो तुरंत रुककर क्रॉस चेक करना जरूरी है।
मनोबल बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती
दीपा बताती हैं कि उन्हें बचपन में साइकिलिंग का शौक था।बाद में यह शौक बाइक राइडिंग में बदल गया। दूर दराज के क्षेत्रों पर राइड करने से पूर्व उन्होंने जामगेट और महू के आस-पास के उन गांवों में प्रैक्टिस की थी, जो पथरीले और उबड़-खाबड़ है। दीपा ने अगस्त 2021 में एवेंजर 160 बाइक खरीदी। इससे पहले उनके पास बाइक नहीं थी। बाइक से यात्रा के दौरान मैंने यह महसूस किया कि राइड्स में तापमान या अकेला होना उतनी बड़ी चुनौती नहीं हैं, जितना चुनौतीपूर्ण है हौसला बनाए रखना। रास्ते में कई परेशानियां आती हैं, यहीं खुद को संभालना होता है। दीपा कहती हैं अकेले बाइक टूरिंग से धैर्य, शक्ति और स्पष्टता बढ़ती है। मनोबल बनाए रखना ही ऐसी राइड्स पर सबसे मुश्किल होता है।
सन्दर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर
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