छाया: अमृत विचार
• चौंकाने वाली है फ़ोर्ब्स द्वारा जारी सूची
नई दिल्ली। विश्व भर में ज्यादातर महिलाएं 50 की उम्र के बाद अपने करियर में आगे बढ़ती हैं। काश कंपनियां इस तथ्य को समझ पातीं। फ़ोर्ब्स की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची की हालिया रैंकिंग महिलाओं को उनके जीवन और करियर के शीर्ष पर दर्शाती हैं। उनमें से 80 फीसदी 50 वर्ष से अधिक उम्र की हैं और आधी 60 वर्ष से अधिक उम्र की हैं। सभी रूढिय़ों और विरासत में मिली कहानियों, परियों की कहानियों और फिल्मों में वृद्ध महिलाओं को डरावनी व झुर्रीदार क्रोन के रूप में दिखाने के बावजूद उभरती हुई वास्तविकता यह है कि महिलाएं क्यू3 -उम्र की तीसरी तिमाही में हैं (50-75) जो अपनी लंबी उम्र में कभी भी बेहतर नहीं दिखीं, फिट महसूस नहीं किया या अधिक शक्ति का इस्तेमाल नहीं किया।
जीवन के सभी क्षेत्रों में और यहां तक कि कुछ अप्रत्याशित देशों में भी महिलाएं पूरी तरह से आत्म-वास्तविक, मुखर और दृश्यमान हो रही हैं। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को आगे बढऩे में थोड़ा अधिक समय लगता है। दरअसल, इसमें दशकों लग जाते हैं। अधिकांश पुरुष अपने 50 और 60 के दशक में बड़े समय की शक्ति और प्रभावशाली पदों पर पहुंचते हैं (तकनीकी क्षेत्र उल्लेखनीय अपवाद है)। अधिकांश महिलाएं अभी भी क्यू-2 में पूंजीवाद, करियर और देखभाल (बच्चों, बुजुर्गों, जीवनसाथी और अन्य की जिन्हें उनकी ज़रूरत है) के असंभव विरोधाभासों को पागलों की तरह सुलझाती हैं यानी वे औसतन थोड़ी देर से खिलती हैं। उनके पास कम रैखिक, ‘स्क्वीग्लियर’ करियर हैं और फिर अचानक किनारे से विस्फोट करती हैं।
वह महिला जो फ़ोर्ब्स रैंकिंग में नंबर एक पर आई हैं (लगातार दूसरी बार) एक आदर्श उदाहरण है। उर्सुला वॉन डेर लेयेन 65 वर्षीय यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष हैं। 61 साल की उम्र में उन्हें यूरोपीय संघ के 27 देशों में 45 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाली सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया था। 2005 में 46 साल की उम्र में एंजेला मर्केल की सरकार में परिवार और युवा मंत्री के रूप में शामिल हुईं और जल्द ही वहां से आगे बढ़ गईं। शायद इससे एक महिला बॉस को मदद मिली जिसने उन्हें आगे जाने का अवसर दिया और फिर उन्हें रक्षा मंत्री जैसी कुछ अपरंपरागत भूमिकाओं में पदोन्नत किया।
संभवत: आप अपने संगठन में इन क्यू-3 महिलाओं को आते हुए न देखें। हो सकता है कि आप उनकी प्रतिभा और महत्वकांक्षाओं में निवेश न कर रहे हों। बहुत सी कंपनियां अभी भी अपने 50 से अधिक उम्र के कर्मचारियों को बट्टे खाते में डाल देती हैं या बाहर निकाल देती हैं।
सोचने का वक्त आ गया है
कई पुरुषों को बेरहमी से किनारे कर दिया जाता है, पर महिलाओं के लिए जैसा कि डा. लुसी रयान ने रिवोल्टिंग वुमेन में वर्णन किया है, आयुवाद मध्य जीवन में सबसे अधिक प्रभावित करता है, ठीक उसी समय जब वे उठने के लिए तैयार होती हैं, अंतत: अपनी क्यू-2 दुविधाओं से मुक्त हो जाती हैं। कॉर्पोरेट संस्कृतियों और प्रणालियों पर पुनर्विचार करने तथा उन्हें अपनाने का समय आ गया है।
दुनिया भर में बूढ़ा हो रहा समाज
दि गार्जियन में लिखने वाली एक 43 वर्षीय पत्रकार ने स्वीकार किया कि उसे लगता है कि उसकी जवानी ढलती जा रही है और इसके साथ ही वे विशेषताएं भी हैं, जो मुझे एक महिला के रूप में पहचानती हैं। जो कंपनियां पहले से ही महिलाओं के लिए अनुकूलित हो चुकी हैं वे तेजी से बढ़ती नई दीर्घायु को अपनाने में एक कदम आगे होंगी। लिंग संतुलन पीढ़ीगत संतुलन के लिए अच्छी तैयारी है। इन संगठनों ने क्यू-3 करियर की क्षमता को पहचानना और पुरानी प्रतिभाओं को कैसे आकर्षित करना, बनाए रखना और विकसित करना सीख लिया होगा। इससे उन्हें प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी, क्योंकि दुनिया भर में समाज बूढ़ा हो रहा है और युवा प्रतिभाओं की उपलब्धता कम हो रही है। उम्मीद करते हैं कि उनके पास नेतृत्व करने के लिए तैयार प्रतिभाशाली वृद्ध महिलाओं की एक अधिक मजबूत बेंच होगी।
सन्दर्भ स्रोत : देशबन्धु
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *