नई दिल्ली। गुरुग्राम के पटौदी में दौलताबाद की रहने वाली अर्चना खुले आसमान में ऊंची उड़ान भरने को तैयार हैं। जल्द ही वे वायु सेना के जहाज से ऊंचाई नापती नजर आएंगी। मेरिट में सातवें नंबर पर होने और फिट-टू-फ्लाई का प्रमाणपत्र होने के बावजूद भी लड़की होने के आधार पर चयन नहीं करने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट से अर्चना को बड़ी राहत मिली है।
अदालत ने कहा कि उड़ान भरने के लिए उपयुक्त प्रमाणपत्र और सभी परीक्षाएं उत्तीर्ण करने के कारण याचिकाकर्ता अर्चना पायलट के तौर पर नियुक्ति के लिए पात्र है। ऐसे में संघ लोक सेवा आयोग को याचिकाकर्ता को तत्काल 17 मई 2023 की परीक्षा अधिसूचना से संबंधित 20 रिक्त वायु सेना फ्लाइंग रिक्तियों में से एक पर नियुक्त करने का निर्देश दिया जाता है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि याचिकार्ता नियुक्त हुए अन्य पुरुष व महिला के साथ वरिष्ठता और अन्य संबद्ध लाभों की भी हकदार होंगी।
न्यायमूर्ति सी हरिशंकर व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने यहां तक कहा कि शुक्र है कि अब हम उस दौर में नहीं हैं, जहां सशस्त्र बलों सहित कहीं भी प्रवेश के मामले में पुरुष और महिला उम्मीदवारों के बीच भेदभाव किया जा सकता था। ऐसी परिस्थितियों में याचिकाकर्ता को नियुक्ति से वंचित करने का एकमात्र आधार रिक्तियां न होना हो सकता है। अदालत ने कहा कि जब 90 रिक्तियां जो सभी महिला-पुरुष उम्मीदवारों के लिए खुली थीं, तो इसका परिणाम स्पष्ट है।
केवल 70 पुरुष उम्मीदवार ही योग्य हुए और 20 रिक्तियां बेकार जा रही हैं। अदालत ने कहा कि कुल 92 रिक्तियों में से 2 रिक्ति महिला उम्मीदवारों के लिए निर्धारित थीं जबकि शेष 90 रिक्तियां महिला या पुरुष उम्मीदवारों के लिए निर्धारित नहीं थीं, बल्कि सभी के लिए खुली थीं। ऐसे में उक्त 20 रिक्तियों को उन महिला उम्मीदवारों से भरना था, जो उन दो उम्मीदवारों से मेरिट में कम थीं।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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