सुप्रीम कोर्ट का फैसला: ‘अमान्य विवाह’ से पैदा

blog-img

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: ‘अमान्य विवाह’ से पैदा
बच्चों को भी मिलेगा संपत्ति में हक

छाया: जनमंथन

 महत्वपूर्ण अदालती फ़ैसले 

सुप्रीम कोर्ट ने 'अमान्य विवाह' को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसी शादी से पैदा होने वाली संतान को माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा मांगने का पूरा हक है। हालांकि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने ही कुछ मामलों में ऐसी शादी से पैदा हुई संतान को मां-बाप की पैतृक संपत्ति पर अधिकार नहीं होने का फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने अब अपने फैसले में कहा है कि अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को भी कानूनी रूप से पूरी वैधता दी गई है। ऐसे में ये बच्चे अपने मां-बाप की पैतृक संपत्ति में हिस्सा मांग सकते हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यह फैसला केवल हिंदू समुदाय पर ही लागू होगा, क्योंकि केवल हिंदू उत्तराधिकार कानून में ही संतान की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा माना गया है।

हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 16 से जुड़ा है मामला

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ ने यह फैसला सुनाया है। पीठ साल 2011 के रेवनासिद्दप्पा बनाम मल्लिकार्जुन केस पर दो जजों की बेंच के फैसले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कहा गया था कि 'अमान्य विवाह' से पैदा हुए बच्चे अपने माता-पिता की स्व-अर्जित या पैतृक संपत्तियों में हिस्सेदारी पाने के हकदार हैं। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट बेंच से हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 16 की व्याख्या मांगी, जिसके तहत अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को वैधता दी गई है। इस कानूनी धारा 16 (3) के मुताबिक ऐसे विवाह से पैदा हुए बच्चे अपने माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा मांग सकते हैं। इसके अलावा किसी तरह के शेयर पर उनका अधिकार नहीं होगा। बेंच ने कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 6 के अनुसार, हिंदू मिताक्षरा संपत्ति में सहदायिक हित को संपत्ति के उस हिस्से के रूप में परिभाषित किया गया है, जो उन्हें मृत्यु से ठीक पहले संपत्ति विभाजन में आवंटित किया गया होता। शून्यकरणीय विवाह कानून या गैरकानूनी विवाह को डिक्री के माध्यम से रद्द किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि एक विवाह जो अमान्य है, उससे पैदा हुए बच्चे को वैधानिक रूप से वैधता प्रदान की जाती है।

संदर्भ स्रोत: डीएनए

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



इलाहाबाद हाईकोर्ट : हिंदू विवाह केवल
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : हिंदू विवाह केवल , रजिस्टर्ड न होने से अमान्य नहीं हो जाता

जस्टिस मनीष निगम ने अपने फैसले में कहा, 'हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत जब शादी विधिवत तरीके से होती है, तो उसका रजिस्ट्रे...

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट :  अपने पसंदीदा शादीशुदा
अदालती फैसले

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट :  अपने पसंदीदा शादीशुदा , मर्द के साथ रह सकती है महिला

कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो उसे ऐसा करने से रोके।

दिल्ली हाईकोर्ट : पति की सैलरी बढ़ी
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : पति की सैलरी बढ़ी , तो पत्नी का गुजारा भत्ता भी बढ़ेगा  

महिला ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें गुजारा भत्ता बढ़ाने की उसकी अपील को खारिज कर दिया गया था।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : पत्नी के जीवित रहने
अदालती फैसले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : पत्नी के जीवित रहने , तक भरण-पोषण करने के लिए बाध्य है पति

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि आर्थिक रूप से सक्षम पति को अपनी पत्नी का भरण-पोषण करना होगा जब तक वह जीवित है भले...

दिल्ली हाईकोर्ट : ग्रामीणों के सामने तलाक लेकर
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : ग्रामीणों के सामने तलाक लेकर , नहीं किया जा सकता हिंदू विवाह को भंग

कोर्ट ने CISF के एक बर्खास्त कांस्टेबल को राहत देने से इनकार कर दिया जिसने पहली शादी से तलाक लिए बिना दूसरी शादी की थी।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : बिना वजह पति से दूरी बनाना मानसिक क्रूरता
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : बिना वजह पति से दूरी बनाना मानसिक क्रूरता

10 साल से मायके में पत्नी, हाईकोर्ट में तलाक मंजूर