क्रूरता के आधार पर पति को तलाक मंजूर, निचली अदालत

blog-img

क्रूरता के आधार पर पति को तलाक मंजूर, निचली अदालत
के फैसले पर कलकत्ता हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी

न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य और न्यायमूर्ति उदय कुमार की खंडपीठ ने पारित एक आदेश में ट्रायल कोर्ट के 2018 के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें एक व्यक्ति को उसकी पत्नी से तलाक देने से इनकार कर दिया गया था। क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक देते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत के फैसले ने महत्वपूर्ण तथ्यों की अनदेखी की है। 

कलकत्ता हईकोर्ट ने एक फैसले में एक ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश को वैवाहिक विवाद पर फैसला सुनाते समय पितृसत्तात्मक और कृपालु टिप्पणी करने के लिए फटकार लगाई, साथ ही मामले में प्रस्तुत भौतिक साक्ष्यों पर भरोसा करने में उनकी विफलता पर भी सवाल उठाया। न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य और न्यायमूर्ति उदय कुमार की खंडपीठ ने पारित एक आदेश में ट्रायल कोर्ट के 2018 के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें एक व्यक्ति को उसकी पत्नी से तलाक देने से इनकार कर दिया गया था। क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक देते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत के फैसले ने महत्वपूर्ण तथ्यों की अनदेखी की है। 

हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश का फैसला “पूरी तरह से उनकी अपनी धारणा पर आधारित था, रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्रियों पर बिल्कुल भी ध्यान दिए बिना। एक रिपोर्ट के अनुसार, पीठ ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के उस हिस्से पर विशेष आपत्ति जताई, जिसमें सफल विवाह के लिए एक सूत्र बताया गया था। ट्रायल जज द्वारा बताए गए चार सूत्री शुभ सिद्धांत में इस तरह की सलाह शामिल थी: रिश्ते की पवित्रता प्राप्त करने के लिए जीवनसाथी की तपस्या के आधार पर एक परिपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए पारलौकिक प्रयास और एक-दूसरे को पूरी तरह से संतुष्ट करने की अप्रभावित और निर्बाध इच्छा। 

उल्लेखनीय है कि यह तलाक का मुकदमा वर्ष 2015 में दायर किया गया था और फरवरी 2018 में ट्रायल कोर्ट ने एकतरफा फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने पति को क्रूरता के आधार पर तलाक की डिक्री प्रदान करते हुए निचली अदालत के न्यायाधीश को भविष्य में सतर्क रहने की चेतावनी दी। खंडपीठ ने कहा हम फिलहाल इस पर कोई कठोर टिप्पणी करने से खुद को रोक रहे हैं, क्योंकि ऐसा करना न्यायाधीश के सेवा जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। 

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



इलाहाबाद हाईकोर्ट : हिंदू विवाह केवल
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : हिंदू विवाह केवल , रजिस्टर्ड न होने से अमान्य नहीं हो जाता

जस्टिस मनीष निगम ने अपने फैसले में कहा, 'हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत जब शादी विधिवत तरीके से होती है, तो उसका रजिस्ट्रे...

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट :  अपने पसंदीदा शादीशुदा
अदालती फैसले

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट :  अपने पसंदीदा शादीशुदा , मर्द के साथ रह सकती है महिला

कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो उसे ऐसा करने से रोके।

दिल्ली हाईकोर्ट : पति की सैलरी बढ़ी
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : पति की सैलरी बढ़ी , तो पत्नी का गुजारा भत्ता भी बढ़ेगा  

महिला ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें गुजारा भत्ता बढ़ाने की उसकी अपील को खारिज कर दिया गया था।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : पत्नी के जीवित रहने
अदालती फैसले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : पत्नी के जीवित रहने , तक भरण-पोषण करने के लिए बाध्य है पति

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि आर्थिक रूप से सक्षम पति को अपनी पत्नी का भरण-पोषण करना होगा जब तक वह जीवित है भले...

दिल्ली हाईकोर्ट : ग्रामीणों के सामने तलाक लेकर
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : ग्रामीणों के सामने तलाक लेकर , नहीं किया जा सकता हिंदू विवाह को भंग

कोर्ट ने CISF के एक बर्खास्त कांस्टेबल को राहत देने से इनकार कर दिया जिसने पहली शादी से तलाक लिए बिना दूसरी शादी की थी।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : बिना वजह पति से दूरी बनाना मानसिक क्रूरता
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : बिना वजह पति से दूरी बनाना मानसिक क्रूरता

10 साल से मायके में पत्नी, हाईकोर्ट में तलाक मंजूर