बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान जोर देकर कहा है कि अगर कोई पत्नी सिर्फ अपने पति के व्यवहार को सुधारने के उदेश्य से झूठा केस फाइल करवाती है, तो इसे भी क्रूरता माना जाएगा। कोर्ट ने शादी के बंधन पर, आपसी विश्वास पर, भरोसे पर एक बड़ी टिप्पणी की है। मामले में सुनवाई दौरान इस बात पर चिंता जाहिर की गई है कि इस तरह से किसी पर फर्जी केस करना गलत है।
कोर्ट ने पत्नी को लगाई फटकार
जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस अद्वैत सेठना की बेंच ने कहा कि हमे साफ दिख रहा है कि पति और उसके परिवार के सदस्यों को झूठे आपराधिक मामलों में फंसाने की कोशिश हुई है। उन्हें इस तरह के गंभीर आरोपों का सामना भी सिर्फ इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि पत्नी पति के व्यवहार को सुधारना चाहती थी। समझने की जरूरत है कि यह आपसी विश्वास, सम्मान और सामंजस्यपूर्ण संबंधों की बात आती है, ऐसी चीजों के लिए कोई जगह नहीं।
सुनवाई के दौरान यहां तक कहा गया कि पति या पत्नी जब झूठे मुकदमे का सहारा लेते हैं, उस स्थिति में विवाह की पवित्रता को बनाए रखना मुश्किल होता है। अगर फर्जी केस के जरिए पति या पत्नी एक दूसरे पर फर्जी केस करते हैं, उस स्थिति में शांदी की पवित्रता नहीं बनी रह सकती। इसे तो एक तरह की क्रूरता माना जाएगा और यह तलाक का आधार भी बन सकता है।
यह है पूरा मामला
बता दें कि इस कपल की शादी मार्च 2006 में हुई थी, लेकिन कुछ ही महीनों बाद दोनों अलग हो गए। उसके बाद पत्नी ने ही सेक्शन 498A के तहत पति पर क्रूरता करने का आरोप लगा दिया, लेकिन उस मामले को पहले ट्रायल और फिर Appellate कोर्ट ने खारिज कर दिया। अब दोनों कोर्ट से पति को राहत मिली, लेकिन पत्नी अपने आरोपों के साथ हाईकोर्ट चली गई। लेकिन सुनवाई के दौरान फिर फैमिली कोर्ट को पता चला कि पति को तो इस मामले में किसी तरह का कोई नोटिस ही नहीं मिला, पत्नी ने भी उस केस की कोई डिटेल शेयर नहीं की।
ऐसे पकड़ी गई पत्नी की चोरी
कोर्ट ने यह भी पाया कि पत्नी को अपने पति को असल में कोई सजा नहीं सुनवानी थी, वो तो सिर्फ उसके व्यवहार को सुधारना चाहती थी। लेकिन कोर्ट ने माना कि ऐसा कर उस पत्नी ने कानून का गलत इस्तेमाल किया और इसी वजह से तलाक भी दिया गया। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट की इस बात को बिल्कुल सही माना है कि पत्नी की यह हरकतें क्रूरता में गिनी जानी चाहिए।
संदर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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