बिलासपुर हाईकोर्ट : बीमारी छिपाकर की

blog-img

बिलासपुर हाईकोर्ट : बीमारी छिपाकर की
गई शादी यातना के समान

बिलासपुर। मिर्गी की बीमारी छिपाकर की गई शादी पर हाई कोर्ट के जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की पीठ  ने कहा है कि यह निश्चित रूप से महिला के वैवाहिक जीवन में यातना के समान है और यह हिंदु विवाह अधिनियम के तहत क्रूरता की श्रेणी में आता है। हाई कोर्ट ने महिला की अपील पर दिए गए फैसले में विवाह विच्छेद की डिक्री मंजूर की है। साथ ही उसे 7.50 लाख रुपए के साथ स्त्रीधन को वापस पाने का हकदार माना है।

गौरेला- पेंड्रा- मरवाही में रहने वाली महिला ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी, इसमें पेंड्रारोड के एडीजे कोर्ट द्वारा हिंदु विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत प्रस्तुत मामले में विवाह विच्छेद की मांग नामंजूर करने को चुनौती दी गई थी। याचिका में बताया कि उसकी शादी 28 जून 2020 को जांजगीर- चांपा के नवागढ़ में रहने वाले अनुराग से हुई थी।

महिला ने बताया कि शादी की रस्म चलने के दौरान ही अनुराग को मिर्गी के दौरे पड़ने लगे। इस पर उसके माता- पिता और अन्य परिजनों ने युवक के माता- पिता से आपत्ति जताई, इसके बाद रस्में अधूरी छोड़ दी गईं। इस बीच अनुराग का भाई 6-7 लोगों के साथ वहां पहुंचा। सभी नशे की हालत में थे। उन्होंने धमकी देकर जबरन शादी की बाकी रस्में पूरी कराईं। इसके बाद वह ससुराल आ गई। यहां उसे कम दहेज लाने को लेकर प्रताड़ित किया जाने लगा। उसका मोबाइल छीन लिया गया। बेडरूम और किचन तक ही आने-जाने की अनुमति दी। यहां तक कि रक्षाबंधन के दिन भी उसे मायके नहीं जाने दिया गया। याचिका में उसने विवाह विच्छेद की मांग की थी।

मध्यस्थता के जरिए सुलह के प्रयास

हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोनों को मध्यस्थता केंद्र भेजा और सुलह के प्रयास किए, लेकिन यह नाकाम रहा। इसके बाद हाई कोर्ट ने दोनों से व्यक्तिगत रूप से चर्चा की, इस दौरान उन्होंने अलग होने पर सहमति दी। महिला ने गुजारा- भत्ते के रूप में साढ़े सात लाख की मांग की। स्त्रीधन वापस मांगा। हाई कोर्ट ने इसे मंजूर किया है।

पति ने आरोपों को बताया गलत

वहीं सुनवाई के दौरान पति ने सभी आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि उसे मायके जाने से नहीं रोका गया। वह पूरे समय सोने और चांदी के जेवर पहने रहती थी। उसे स्मार्ट फोन भी दिया गया था। मिर्गी की बीमारी के आरोप को भी गलत बताते हुए मेडिकल सर्टिफिकेट प्रस्तुत किए गए थे।

संदर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सुप्रीम कोर्ट  : गर्भ में पल रहे बच्चे को भी जीने का मौलिक अधिकार
अदालती फैसले

सुप्रीम कोर्ट  : गर्भ में पल रहे बच्चे को भी जीने का मौलिक अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 27 सप्ताह के गर्भ को गिराने की याचिका

जबलपुर हाईकोर्ट : रेप की झूठी शिकायत करने
अदालती फैसले

जबलपुर हाईकोर्ट : रेप की झूठी शिकायत करने , की धमकी देना भी खुदकुशी के लिए उकसाना   

महिला डॉक्टर व उसकी मां के खिलाफ एफआईआर को खारिज करने से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट :पत्नी और बच्चों की
अदालती फैसले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट :पत्नी और बच्चों की , बुनियादी वित्तीय जरूरतें पूरी न करना क्रूरता

फैमिली कोर्ट ने पाया था कि यह याची ही था जिसने पत्नी और बच्चे का भरण-पोषण नहीं किया और उन्हें असहाय छोड़ दिया।

इलाहाबाद  हाईकोर्ट : दहेज़ के झूठे आरोपों से बचने
अदालती फैसले

इलाहाबाद  हाईकोर्ट : दहेज़ के झूठे आरोपों से बचने , शादी में मिले उपहारों की सूची बनाएं वर-वधू पक्ष

कोर्ट ने कहा “गिफ्ट की सूची पर वर-वधू पक्ष के हस्ताक्षर भी कराए  जाएं, ऐसा करने से विवादों के निपटारे में मदद मिलेगी”

जबलपुर हाईकोर्ट :  वैवाहिक जीवन बचाने
अदालती फैसले

जबलपुर हाईकोर्ट :  वैवाहिक जीवन बचाने , के लिए चुप रहना नेक कार्य

कोर्ट ने कहा “दहेज की मांग करते हुए महिला को मायके में रहने के लिए मजबूर करना मानसिक क्रूरता”