पटना हाईकोर्ट : पहले पत्नी फिर रिश्तेदारों की देखभाल करें

blog-img

पटना हाईकोर्ट : पहले पत्नी फिर रिश्तेदारों की देखभाल करें

पटना हाईकोर्ट ने पति को प्रत्येक माह पत्नी को 12,000 रुपए प्रति भुगतान करने का आदेश दिया। परिवार न्यायालय के आदेश को हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी गई कि परिवार न्यायालय ने पति की देनदारियों पर विचार नहीं किया। 

पटना हाईकोर्ट ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के आदेश को चुनौती देने वाली अर्जी पर कहा कि पति पहले अपनी पत्नी की देखभाल करें। भाइयों को आश्रित नहीं माना जा सकता। इसके अलावा दिवंगत बहन की बेटी की देखभाल करना एक पवित्र दायित्व हो सकता है, लेकिन यह वैधानिक दायित्व नहीं है। न्यायमूर्ति अरुण कुमार झा की पीठ ने आवेदक पति चंदन पासवान की अर्जी पर सुनवाई के बाद उसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पति का पहला दायित्व पत्नी का देखभाल करना है। उसके बाद ही रिश्तेदारों के नम्बर आता है। 

आवेदक आरपीएफ में कांस्टेबल हैं। सभी कटौतियों के बाद उन्हें बतौर वेतन लगभग 41,000 रुपये मिलते हैं। पत्नी ने अपने भरण-पोषण के लिए गया के परिवार न्यायालय में वाद दायर किया था। न्यायालय ने पति को प्रत्येक माह पत्नी को 12,000 रुपए प्रति भुगतान करने का आदेश दिया। परिवार न्यायालय के आदेश को हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी गई कि परिवार न्यायालय ने पति की देनदारियों पर विचार नहीं किया।

पति पर दो भाइयों व मृत बहन की एक बेटी की देखभाल करने की जिम्मेवारी है। कोर्ट ने कहा कि बेशक आवेदक पर दो भाइयों और मृत बहन की एक बेटी की देखभाल जिम्मा है, पर उसे सबसे पहले अपनी पत्नी की देखभाल करनी होगी। कोर्ट ने कहा कि भाइयों को उसका आश्रित नहीं माना जा सकता।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



दिल्ली हाईकोर्ट : वैवाहिक झगड़ों में बच्चे को
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : वैवाहिक झगड़ों में बच्चे को , हथियार के रूप में इस्तेमाल करना क्रूरता

कोर्ट ने माना कि नाबालिग बच्चे को जानबूझकर माता-पिता से अलग करने की कोशिश न सिर्फ मनोवैज्ञानिक क्रूरता है, बल्कि यह तलाक...

इलाहाबाद हाईकोर्ट : वैवाहिक कलह के कारण
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : वैवाहिक कलह के कारण , आत्महत्या को उकसावा नहीं माना जाएगा

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि वैवाहिक कलह और घरेलू जीवन में मतभेद काफी आम है।

सुप्रीम कोर्ट : आरक्षण नहीं, अपने दम पर जज बन रही हैं महिलाएं
अदालती फैसले

सुप्रीम कोर्ट : आरक्षण नहीं, अपने दम पर जज बन रही हैं महिलाएं

महिला वकीलों के चैंबर आवंटन की मांग पर  पीठ ने कहा - जब महिलाएं योग्यता से सब कुछ हासिल कर सकती हैं, तो वे किसी विशेष सु...

बरेली फैमिली कोर्ट : मायके में रहना है तो शादी क्यों की
अदालती फैसले

बरेली फैमिली कोर्ट : मायके में रहना है तो शादी क्यों की

पत्नी बोली- पति मां-बाप को छोड़े, प्रॉपर्टी बेचकर मेरे घर रहे,कोर्ट ने लगाई पत्नी को फटकार, जज बोले- ऐसे मुकदमों से परिव...

सुप्रीम कोर्ट :  24 घंटे में पत्नी को लौटाओ उसका सामान
अदालती फैसले

सुप्रीम कोर्ट :  24 घंटे में पत्नी को लौटाओ उसका सामान

वैवाहिक विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने पति को लगाई फटकार. कहा - यह घृणित है कि पति ने 2022 से अब तक पत्नी को अपने कपड़े और न...

हिमाचल हाइकोर्ट : पिता अपने बालिग बच्चों की
अदालती फैसले

हिमाचल हाइकोर्ट : पिता अपने बालिग बच्चों की , पढ़ाई-लिखाई का खर्च उठाने के लिए कानूनी रूप से बाध्य

हाईकोर्ट ने कहा पिता सीआरपीसी के तहत अपने बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए कानूनन बाध्य नहीं, लेकिन चूंकि बच्चे अभी भी शिक...