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भोपाल। एमपी कैडर की वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सोनाली मिश्रा रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) की पहली महिला महानिदेशक होंगी। वे एक अगस्त से अपना पदभार संभालेंगी। 1993 बैच की सोनाली मिश्रा फिलहाल पीएचक्यू में एडीजी चयन एवं भर्ती के पद पर पदस्थ हैं। सोनाली मिश्रा प्रदेश की ऐसी आईपीएस अफसर हैं जो प्रदेश की सुरक्षा से लेकर देश की सीमा और पीएम की सुरक्षा तक का जिम्मा संभाल चुकी हैं।
भोपाल में जन्मीं और एमए तक शिक्षा हासिल करने वाली सोनाली मिश्रा रायसेन एसपी, जबलपुर डीआईजी और पुलिस मुख्यालय में आईजी इंटेलिजेंस के पद पर रही हैं। उनके नाम पहले भी कई कीर्तिमान दर्ज हैं। वे बीएसएफ में भी देश की पहली महिला आईजी बनीं और उन्होंने पंजाब फंटियर से सटी 553 किमी लंबी भारत-पाक अटारी सीमा की निगरानी की। इसके बाद उन्होंने कश्मीर घाटी और बीएसएफ मुख्यालय में खुफिया शाखा में भी काम किया है। हाल ही में भोपाल में पीएम के प्रवास के दौरान उन्हें ही पीएम की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया था।
केंद्र सरकार ने जारी किए आदेश
केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने उनकी नई पदस्थापना के बारे में आदेश जारी कर दिया। वे आरपीएफ के मौजूदी डीजी मनोज यादव के रिटायर होने के बाद इस पद को संभालेंगी। यादव 31 जुलाई 2025 को सेवानिवृत्त होंगे और 1 अगस्त से सोनाली इस पद को संभालेंगी। जारी आदेश के मुताबिक वे 31 अक्टूबर 2026 तक आरपीएफ की डीजी रहेंगी। आरपीएफ डीजी बनने के बाद रेलवे के बुनियादी ढांचे की रक्षा, रेल संपत्ति की चोरी, तस्करी और तोड़फोड़ जैसे अपराधों से निपटने की जिम्मेदारी उनके कांधों पर होगी। आरपीएफ एक अर्धसैनिक बल है जो देश भर में फैले 67 हजार किलोमीटर से अधिक लंबे रेलवे ट्रैक, हजारों रेलवे स्टेशनों, भारतीय रेल के कारखानों, नए प्रोजेक्ट, माल परिवहन, सफर करने वाले यात्रियों और रेलवे की संपत्तियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालता है।
उनकी विशिष्ट सेवा के सम्मान में, उन्हें विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक (पीपीएमडीएस) और सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक (पीएमएमएस) से सम्मानित किया गया है। आरपीएफ की कमान संभालते हुए, मिश्रा की नियुक्ति एक पेशेवर उपलब्धि से कहीं अधिक है – यह नेतृत्व में लैंगिक समावेशिता के प्रति भारत की उभरती प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उनकी यात्रा लाखों युवा महिलाओं, विशेष रूप से वर्दी में राष्ट्र की सेवा करने की आकांक्षा रखने वाली महिलाओं को प्रेरित करती है, यह साबित करते हुए कि नेतृत्व लिंग से नहीं, बल्कि साहस, दूरदर्शिता और समर्पण से परिभाषित होता है।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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