हानिकारक गैसों की पहचान के

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हानिकारक गैसों की पहचान के
लिए डॉ. फौजिया ने बनाया 'ग्लो सेंसर'

छाया : स्व संप्रेषित 

उद्योगों से निकलने वाली रासायनिक गैसों की सटीक पहचान करने के लिए मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान (मैनिट), भोपाल की एसो. प्रोफेसर डॉ. फौजिया हक़ खान ने एक नई ऑप्टिकल बेस्ड 'ग्लो सेंसर' तकनीक विकसित की है। अब तक यह काम पारंपरिक गैस सेंसर के जरिये होता आया है। पुरानी तकनीक इस्तेमाल करने में जटिल है, क्योंकि उसमें सेंसर को थोड़े अधिक तापमान पर रखना पड़ता है। उससे गैस के मिश्रण में किसी एक गैस की पहचान करना कठिन होता है और प्रतिक्रिया भी धीमी होती है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए शोधकर्ताओं ने ऑप्टिकल यानी प्रकाश आधारित ल्यूमिनेसेंस गैस सेंसर विकसित किया है। यह 'ग्लो सेंसर' फोटोन पर आधारित होता है, इसलिए यह गैस की पहचान बहुत तेजी से कर लेता है। इसमें सेंसर को गर्म रखने की आवश्यकता नहीं होती और यह मिश्रित गैसों में भी एक विशेष गैस को अलग से पहचानने में सक्षम है।

पेटेंट कराया है खास सैंपल होल्डर

इस तकनीक को और ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए वैज्ञानिक नैनो मटेरियल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। नैनो मटेरियल वे होते हैं जिनका कम से कम एक आयाम नैनोमीटर (10-9 मीटर) के स्तर पर होता है। जब किसी बल्क मटेरियल को नैनो आकार में काटा जाता है, तो उसकी भौतिक और रासायनिक विशेषताएं पूरी तरह बदल जाती हैं। जैसे कि सुनहरा दिखने वाला सोना नैनो आकार में आने पर न चमकता है, न ही ओहम के नियमों का पालन करता है। प्रयोगशाला में वैज्ञानिक स्पेक्टर फ्लोरोमीटर का उपयोग कर गैस और नैनो सामग्री के बीच होने वाली प्रतिक्रिया से निकलने वाले फोटोन को मापते हैं। इस तकनीक के लिए एक विशेष सैंपल होल्डर तैयार किया गया है, जिसे शोधकर्ता पेटेंट भी करवा चुके हैं।

फसल वृद्धि में सहायक नैनो मटेरियल्स

इसके अलावा यह टीम नैनो मटेरियल्स का उपयोग अन्य कई क्षेत्रों में कर रही है। जैसे कि सिलिकॉन की जगह दूसरे नैनो मटेरियल्स से सोलर सेल बनाना, पानी से ऑर्गेनिक पोल्यूटेंट्स को नष्ट करना, यूवी रेडिएशन शील्डिंग फिल्म बनाना, जो सूरज से लेकर एलईडी लाइट तक की खतरनाक यूवी किरणों से बचाती हैं। इसके साथ ही कृषि कचरे से उपयोगी उत्पादों के विकास, फसल वृद्धि में सहायक नैनो मटेरियल और बायोपॉलीमर्स के साथ मिलाकर पर्यावरण अनुकूल तकनीकों पर भी काम चल रहा है। यह शोध न केवल गैस डिटेक्शन के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है, बल्कि नैनो तकनीक के जरिए स्वच्छता, ऊर्जा और कृषि में भी नए विकल्प प्रदान कर सकता है।

नवीन तकनीक से गैस की पहचान

गैस की पहचान के लिए विकसित की गई एक अत्याधुनिक ऑप्टिकल/ ल्यूमिनेसेन्स गैस सेंसिंग तकनीक को पेटेंट मिल चुका है। इस तकनीक के तहत एक विशेष सैंपल होल्डर तैयार किया गया है, जिसमें नैनो मैटेरियल्स (सेंसिंग एलिमेंट) को रखा जाता है। इसके बाद इस जार में संबंधित गैस को भरकर उसकी प्रतिक्रिया का अध्ययन किया जाता है। प्रक्रिया के दौरान गैस के संपर्क में आने पर सेंसिंग एलिमेंट से निकलने वाली प्रकाशीय चमक (ल्यूमिनेसेन्स) को स्पेक्टर फ्लोरोमीटर नामक उपकरण से मापा जाता है। यह तकनीक पारंपरिक गैस सेंसिंग की तुलना में अधिक सटीक और संवेदनशील मानी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस पेटेंट तकनीक से औद्योगिक सुरक्षा, पर्यावरण निगरानी और मेडिकल रिसर्च जैसे क्षेत्रों में बदलाव आ सकते हैं।

विश्व की 2 फीसदी साइंटिस्ट में शामिल

मैनिट की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. फोजिया हक़ खान लगातार 5 साल तक 2020 से 2024 तक स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की टॉप 2 फीसदी साइंटिस्ट की लिस्ट में आ चुकी हैं। उन्हें ग्लो सेंसर तकनीक विकसित करने के लिए प्रोसेस पेटेंट भी मिला है।

सन्दर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर 

सम्पादन : मीडियाटिक डेस्क 


 

 

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