भिंड : महिला थाना प्रभारी क्रांति राजपूत बनीं

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भिंड : महिला थाना प्रभारी क्रांति राजपूत बनीं
'रिश्तों की रक्षक' 73 टूटते रिश्तों को जोड़ा

छाया : होम डिपार्टमेंट ऑफ़ मध्यप्रदेश के फेसबुक पेज से 

भिंड। रिश्तों की बुनियाद पर खड़ा परिवार अगर बिखर जाए, तो उसका असर सिर्फ दो लोगों पर नहीं, बल्कि पूरी पीढ़ी पर पड़ता है। ऐसे में अगर कोई पुलिस अधिकारी कानून के साथ-साथ संवेदनशीलता को भी साधे, तो वह सिर्फ एक अफसर नहीं, समाज का संरक्षक बन जाता है। भिंड जिले की महिला थाना प्रभारी क्रांति राजपूत ने ऐसा ही एक उदाहरण पेश किया है।

एक साल में 73 परिवारों को टूटने से बचाया

पिछले 12 महीनों में महिला थाना भिंड में ऐसे 73 मामले आए, जहाँ पति-पत्नी के रिश्ते बिखरने की कगार पर थे। इनमें से 30 से अधिक मामले तलाक की अंतिम प्रक्रिया तक पहुंच चुके थे, लेकिन थाना प्रभारी क्रांति राजपूत ने संवाद, सहानुभूति और सुलह के जरिए इन्हें फिर से जोड़ा।  एंडोरी निवासी सरोज और उनके पति अजय सिंह तोमर के बीच विवाद इतना बढ़ चुका था कि दोनों अलग हो चुके थे। सरोज 4 सितंबर को महिला थाने पहुंचीं। प्रभारी क्रांति राजपूत ने दोनों पक्षों को बुलाया, काउंसलिंग की और समझाइश दी।आखिरकार, 8 सितंबर को दोनों ने फिर से एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर नया जीवन शुरू किया। यह केवल एक घटना नहीं, बल्कि कई परिवारों को जोड़ने वाली सोच का हिस्सा है। 

घरेलू हिंसा और दहेज के मामलों में भी मिली कामयाबी 

भिंड महिला थाने में घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना जैसे गंभीर मामलों में भी प्रभारी ने समाधान निकाला। सिर्फ कानूनी कार्रवाई नहीं, बल्कि उन्होंने प्रयास किया कि पति-पत्नी आपसी सहमति से एक-दूसरे को समझें और रिश्ता बचा सकें। उन्होंने न केवल प्रकरण वापस करवाए, बल्कि नवविवाहिताओं को सुलह के लिए राजी भी किया। हीरालालपुरा की रश्मि जाटव और अभय जाटव, शहर के गंज मोहल्ला की ममता और सुनील आर्य, माता वाली गली जामना रो भिंड की रीना और धर्मद गोयल, वहीं वार्ड एक पोरसा की नेहा और अजय पाथरे के बीच थाने में पहुंचा। विवाद भी काउंसलिंग के बाद खत्म करवाया गया और उन्हें  परिवार में वापस भेजा गया। 

एफआईआर नहीं, समाधान हमारा लक्ष्य है 

थाना प्रभारी क्रांति कहती हैं "हर विवाद में जरूरी नहीं कि FIR हो। अगर बात की जाए, तो हल जरूर निकलता है। मैं हमेशा कोशिश करती हूं कि कानून से पहले संवाद हो। जब परिवार टूटता है, तो बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। उन्हें बचाना हमारी जिम्मेदारी है।"

सन्दर्भ स्रोत : पत्रिका 

सम्पादन : मीडियाटिक डेस्क 

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