प्रयागराज। वैवाहिक विवाद से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि गरीबी के कारण पति को छोड़ने वाली पत्नी भरण-पोषण भत्ते की हकदार नहीं है। कोर्ट ने यह भी पाया कि पत्नी बिना किसी उचित कारण के पति से अलग रह रही थी और उसने तथ्यों को छुपाकर अदालत को गुमराह करने का प्रयास किया।
यह आदेश न्यायमूर्ति मदनपाल सिंह ने चंदौली की रचना व्यास की पुनरीक्षण याचिका खारिज करते हुए दिया है। याचिका में फैमिली कोर्ट चंदौली के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें याची की ओर से 125 सीआरपीसी के तहत दाखिल भरण पोषण के आवेदन को खारिज कर दिया गया था।
हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया
हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराया। रचना व्यास के वकील ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट ने क्रूरता के आरोपों पर विचार नहीं किया। पत्नी के पास पति से अलग रहने का पर्याप्त कारण था। उन्होंने यह भी कहा कि पत्नी पर दूसरी शादी करने का आरोप सही नहीं है।
पत्नी की दूसरी शादी का दावा
दूसरी ओर, पति के अधिवक्ता ने बताया कि कि दोनों के बीच पंचायत में हुए समझौते के आधार पर संबंध विच्छेद हो चुका है। उन्होंने यह भी दावा किया कि पत्नी ने दूसरी शादी कर ली है, जिसका प्रमाण ग्राम प्रधान द्वारा दिया गया है।
आधार कार्ड में पति की जगह पिता का नाम जोड़ा
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि पत्नी ने अपनी मर्जी से ससुराल छोड़ा था। इसका कारण यह था कि उसका मायका अमीर था, जबकि पति गरीब परिवार से था। पत्नी ने जो आधार कार्ड ट्रायल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया था, वह भी गलत पाया गया। ऐसा इसलिए था क्योंकि उसने अपने आधार कार्ड में बाद में पति के नाम के स्थान पर पिता का नाम जुड़वाया था। इस तथ्य को अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया था।



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