इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति की मौत के बाद आश्रित कोटे में नौकरी कर रही बहू को अपने वेतन से हर महीने सास-ससुर को साढ़े सात हजार रुपये गुजारा-भत्ता देने का आदेश दिया है। यह भी कहा है कि दो साल बाद वेतन बढ़ने पर गुजारे-भत्ते का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा। बहू के वेतन से कटौती एक अप्रैल 25 से प्रभावी होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकलपीठ ने मिर्जापुर के राम कृपाल मौर्य की याचिका पर दिया है। याची का बेटा वाराणसी के चंदापुर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय आश्रम पद्धति इंटर कॉलेज चंदापुर वाराणसी में अर्थशास्त्र का प्रवक्ता था। सेवाकाल में उसकी मृत्यु हो गई और बहू को उप निदेशक समाज कल्याण विभाग इलाहाबाद में कनिष्ठ सहायक पद पर अनुकंपा नियुक्ति मिली। नियुक्ति के दौरान बहू ने सास-ससुर को गुजारा-भत्ता देने का आश्वासन दिया था।
11 सितंबर 2023 से जब बहू ने सास-ससुर को गुजारे के लिए रुपये देने बंद कर दिया तो याची ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने याची और उसकी बहू स्तुति काजल को बुलाया। याची ससुर ने कोर्ट को बताया कि उसे पीपीएफ के पांच लाख मिले थे, जो अंतिम संस्कार अन्य कार्य में खर्च हो गए। इस समय दोनों बीमार हैं। उन्हें मदद की जरूरत है। लेकिन, बहू सहारा नहीं दे रही है। वहीं, दूसरे बेटे की नियमित आय न होने के चलते वह भी मदद नहीं कर पा रहा है। बहू ने कोर्ट से कहा कि वह हर माह पांच हजार दे सकती है। लेकिन, ससुर ने 10 हजार की मांग की। कोर्ट ने बहू के वेतन को देखते हुए हर माह साढ़े सात हजार रुपये देने का आदेश दिया।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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