इलाहाबाद हाईकोर्ट : हिंदू विवाह संस्कार, कोई सामाजिक अनुबंध

blog-img

इलाहाबाद हाईकोर्ट : हिंदू विवाह संस्कार, कोई सामाजिक अनुबंध
नहीं, बिना उचित वजह जीवनसाथी को छोड़ना क्रूरता

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू विवाह को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।  हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह एक संस्कार है कोई सामाजिक अनुबंध नहीं।  लिहाजा बिना किसी उचित कारण जीवनसाथी को छोड़ना उसके प्रति क्रूरता है।  यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने ने 23 साल से पति से अलग रह रही अभिलाषा की याचिका पर की।  साथ ही कोर्ट ने अपील को खारिज कर तलाक को बरकरार रखा।  कोर्ट ने गुजारा भत्ता के लिए पांच लाख देने का आदेश भी दिया। कोर्ट ने कहा दोनों के बीच विवाह विच्छेद हो चुका है।  साथ रहना नहीं चाहते।  इसलिए पति पत्नी को एकमुश्त पांच लाख रुपए स्थाई गुजारा भत्ते का भुगतान तीन माह के भीतर करे।  यदि आदेश का पालन नहीं होता तो 8 फीसदी ब्याज देना होगा।

दरअसल, झांसी निवासी अभिलाषा की शादी राजेंद्र प्रसाद श्रोती के साथ 1989 में हुई थी।  दोनों शादी के बाद अलग-अलग रहने लगे।  फिर दुबारा साथ रहने लगे, लेकिन 2001 से दोनों अलग ही रह रहे हैं।  जिसके बाद पति राजेंद्र ने फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए वाद दाखिल किया।  कोर्ट ने मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक मंजूर कर लिया। फैमिली कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ पत्नी अभिलाषा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।  सुनवाई के दौरान कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए याचिका ख़ारिज कर दी और कहा कि बिना उचित कारण जीवनसाथी को छोड़ना क्रूरता है।  हिंदू विवाह संस्कार है।  ऐसे में उसे छोड़ना संस्कार की आत्मा और भावना को खत्म करना है।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



मप्र हाईकोर्ट  : किसी के भी साथ रहने
अदालती फैसले

मप्र हाईकोर्ट  : किसी के भी साथ रहने , को स्वतंत्र है शादीशुदा महिला

बयान में महिला ने साफ शब्दों में कहा कि वह बालिग है और अपनी मर्जी से याचिकाकर्ता धीरज नायक के साथ रहना चाहती है। महिला न...

दिल्ली हाईकोर्ट : सहमति से तलाक की पहली
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : सहमति से तलाक की पहली , अर्जी के लिए 1 साल का इंतजार अनिवार्य नहीं

पीठ ने कहा कि एचएमए की धारा 13बी के तहत अनिवार्य अवधि को माफ किया जा सकता है, ताकि एक जोड़े को ऐसे शादी के रिश्ते में फं...

बॉम्बे हाईकोर्ट : अस्थायी आधार पर काम करने
अदालती फैसले

बॉम्बे हाईकोर्ट : अस्थायी आधार पर काम करने , वाली महिला मातृत्व अवकाश के लाभों की हकदार

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वह मई 2021 से बिना किसी रुकावट और लगातार पद पर काम कर रही थी और सेवा में ब्रेक तकनीकी प्रकृत...

इलाहाबाद हाईकोर्ट :  दुल्हन के नाबालिग होने
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : दुल्हन के नाबालिग होने , मात्र से हिंदू विवाह अमान्य नहीं

मामला एक युद्ध विधवा और उसके ससुराल वालों के बीच मृतक सैन्य अधिकारी के आश्रितों को मिलने वाले लाभों के अधिकार से जुड़ा ह...

दिल्ली हाईकोर्ट  :  विवाहेतर संबंध का होना
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट  :  विवाहेतर संबंध का होना , आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध नहीं

पीठ ने कहा कि आरोपित अगर चाहता तो शरियत के अनुसार तलाक दे सकता था, लेकिन उसने इसके बजाय मौजूदा शादी जारी रखी।