छाया : डॉ. सोनिया नाग
सायाजी राव यूनिवर्सिटी बड़ोदरा के 72वें दीक्षान्त समारोह में भोपाल की प्रशस्ति को अभिनय में गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ है। उन्हें यह सम्मान बड़ोदरा की राजमाता शिवांगिनी राजे गायकवाड द्वारा प्रदान किया गया।
बता दें कि प्रशस्ति एक कुशल थियेटर आर्टिस्ट होने के अलावा सफल नृत्यांगना (कथक) भी हैं। मात्र तीन वर्ष की उम्र से ही प्रशस्ति कथक की मंचीय प्रस्तुतियां करती आ रही हैं। श्री पंचम लाल मानेश्वर और डॉ. सोनिया नाग की पुत्री प्रशस्ति बेहद कम उम्र में ही अभिनय और नृत्य सीख रही हैं। नृत्य की बारीकियां उन्होंने अपनी माँ सोनिया नाग से सीखी। सोनिया जी स्वयं प्रख्यात कथक और ओडिसी नृत्यांगना हैं। उसके बाद गुरु शिष्य परम्परा के तहत डॉ. विजया शर्मा से विधिवत शिक्षा प्राप्त की। अभिनय के शौक के चलते त्रिकर्षि संस्था से जुड़ गईं जहाँ रंगमंच की बारीकियां के जी त्रिवेदी (चच्चा) से सीखी। उन्होंने स्कूली शिक्षा केंद्रीय विद्यालय-3 भोपाल से ग्रहण की। विद्यालय में सावित्री बाई फुले नाटक के माध्यम से अपनी पहचान बनाने वाली प्रशस्ति राष्ट्रीय स्तर तक अनेक नाटकों और कथक की प्रस्तुतियां दे चुकीं हैं।
सन्दर्भ स्रोत : डॉ. सोनिया नाग
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