छाया : पत्रिका
भोपाल में जन्मीं और पली-बढ़ी फिर यहीं से अभिनय का सफर शुरू करने वाली शायना खान मुंबई में अपनी ख़ास पहचान बना चुकी हैं। इन दिनों वे महाभारत में दुर्योधन की भूमिका निभा चुके पुनीत इस्सर कृत रामायण में मंदोदरी और कैकेयी का अहम किरदार निभा रही हैं , जो देश में नाम कमाने के बाद 11 अप्रैल से अमेरिका में अपना टूर शुरू कर रहा है। रामायण एक थियेटर प्रस्तुति है, जिसमें कविता के रूप में ढाई घंटे तक रामायण का मंचन किया जाता है और इसमें हर पात्र अपनी-अपनी अदाकारी दिखाता है।
कॉलेज से शुरू हुआ सफर
शायना वर्ष 2000 में लक्ष्मीबाई कॉलेज में मिस एमएलबी बनीं। यहीं से उनकी जिंदगी ने नया मोड़ ले लिया। इसके बाद उन्होंने कई विज्ञापन किए, न्यूज एंकरिंग की। उन्होंने एनएफटी भोपाल ड्रेस डिजाइनिंग का कार्य भी किया। खास बात यह है कि इन सबके साथ उनकी पढ़ाई भी चलती रही। शायना ने कई लाइव शोज भी किए।
शायना बताती हैं अभिनय का शौक बचपन से ही था। स्कूल में भी नाटकों में भाग लेती थी। ऐसे में जब साल 2003 में कारवां ग्रुप से जुडऩे का मौका मिला, तो हिचकिचाई नहीं। वहाँ आलमगीर नाटक में नूरजहां का किरदार निभाया। इसके बाद ताजीगुल किया। इसके बाद मुंबई आ गई ।
धार्मिक किरदार निभाया
जब कन्हैयालाल में वे यशोदा का किरदार निभा चुकी हैं। इसके अलावा देशभर में पुनीत इस्सर द्वारा मंचित हो रहे महाभारत में गांधारी का किरदार निभाया, तो सभी ने खूब तारीफ की। इसके बाद पुनीत ने रामायण के लिए बुलाया, जिसमें कौशिल्या, मंदोदरी, कैकेयी की भूमिका निभाई। मंदोदरी के किरदार में उन्हें खूब पसंद किया गया।
भाषा ज्ञान खूब काम आया
शायना कहती हैं कलाकार के लिए कुछ चीजें अहम होती हैं। अभिनय के साथ-साथ अगर भाषा ज्ञान हो, तो सोने पे सुहागा वाली बात होती है। मेरी याद करने की क्षमता अच्छी है और मैं संस्कृत, हिंदी, उर्दू अच्छी तरह समझ लेती हूं, इसलिए धार्मिक सीरियल में फिट बैठ जाती हूं। हालांकि मंच पर किरदार निभाना ज्यादा चुनौतीपूर्ण होता है।
सन्दर्भ स्रोत : पत्रिका
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